ऐसा लग रहा है कि फ़ेसबुक ने अपने प्लेटफ़ॉर्म से हिन्दू आवाज़ों की पूरी तरह ‘सफ़ाई’ करने का मन बना लिया है। राजनीति तो दूर की चीज़ है, हिन्दुओं की संस्कृति और धर्म-आस्था को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर जगह देना फेसबुक को अब खलने लगा है। मंगलवार (1 अक्टूबर) को वेबसाइट की कंटेंट टीम ने प्रख्यात लेखिका मोनीदीपा डे की दुर्गा पूजा से जुड़ी फेसबुक पोस्ट को अपने ‘Community Standards’ का उल्लंघन बता कर हटा दिया। लेकिन यह नहीं समझाया कि दुर्गा पूजा पर पोस्ट ‘स्पैम’ कैसे हो गई। डे ने अपने फेसबुक अकाउंट पर इस घटना के बारे में लिखते हुए नाराज़गी प्रकट की है।
भारतीय रेल की पत्रिका ‘रेल बन्धु’ में यात्रा-वृत्तान्त (travelogue) और विभिन्न प्रकाशनों में भारतीय संस्कृति पर लिखने वालीं डे ने Financial Express के लिए अपने साप्ताहिक कॉलम में दुर्गा पूजा के बारे में एक लेख लिखा था। इस लेख में उन्होंने समूचे भारतवर्ष की नवरात्रि और बंगाल के महाषष्ठी से विजय दशमी तक की पूजा के विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं, जिनमें पंडाल-भ्रमण से लेकर नबपत्रिका, होम, भोग, दुंची नाच, बलि आदि का उल्लेख और संक्षिप्त वर्णन किया था।
यह पूरी तरह गैर-विवादास्पद (आज की भाषा में कहें तो ‘vanilla’) लेख था, जिस में एक भी आपत्तिजनक शब्द ढूँढ़ना असंभव है। इसके बावजूद फेसबुक ने एक ग्रुप में मोनीदीपा दे के इसे शेयर करने पर उसे ‘स्पैम’ बताकर हटा दिया, जबकि मोनीदीपा दे के अनुसार, इस पोस्ट को उस ग्रुप के एक एडमिन ने ग्रुप में शेयर किए जाने की लिए सहमति प्रदान की थी। ऐसे में इसे ‘स्पैम’ बताने का कोई औचित्य ही नहीं बनता है। पहले ही अपनी कंटेंट मॉडरेशन टीम में वामपंथी झुकाव की बात स्वीकार चुके फेसबुक के हिन्दूफोबिया के अलावा किसी भी अन्य दृष्टिकोण से इसकी व्याख्या करना असंभव है।