Monday, November 18, 2024
Homeविविध विषयअन्यफीस नहीं थी... जहर खा ली, जान बची तो बनी स्टेट टॉपर: कहानी 16...

फीस नहीं थी… जहर खा ली, जान बची तो बनी स्टेट टॉपर: कहानी 16 साल की ग्रीष्मा नायक की

ग्रीष्मा नायक को 10वीं में 625 में से 599 नंबर मिले हैं। 16 साल की ग्रीष्मा बताती हैं कि उनके लिए यह आसान नहीं था। उनके सामने कई चुनौती थी जिसके चलते वह इतनी हताश हो गईं कि उन्होंने आत्महत्या का भी प्रयास किया।

कर्नाटक की ग्रीष्मा नायक ने 10वीं कक्षा की सप्लीमेंट्री परीक्षा टॉप करके इतिहास रचा है। वहाँ सोमवार (अक्टूबर 11, 2021) को एलएसएलसी की सप्लीमेंट्री परीक्षा के नतीजे घोषित हुए तो मालूम चला कि ग्रीष्मा नायक को 625 में से 599 नंबर मिले हैं। 16 साल की ग्रीष्मा बताती हैं कि उनके लिए यह आसान नहीं था। उनके सामने कई चुनौती थी जिसके चलते वह इतनी हताश हो गईं कि उन्होंने आत्महत्या का भी प्रयास किया।

कर्नाटक के तुमकुरु जिले के कोराटागेरे शहर की रहने वाली ग्रीष्मा बताती हैं कि उन्होंने बोर्ड की परीक्षा की तैयारी तो शुरू से जोर-शोर से की थी। लेकिन उनका परिवार स्कूल की फीस भरने में सक्षम नहीं था। ऐसे में स्कूल ने परीक्षा के लिए उन्हें हॉल टिकट (परीक्षा देने के लिए जारी होने वाला एडमिट कार्ड जिस पर अभ्यार्थी की सूचना दी गई होती है) देने से मना कर दिया, जिसके कारण उन्होंने जहर खाकर अपना जीवन समाप्त करने की कोशिश की।

किसान परिवार में जन्मीं दक्षिण कन्नड़ जिले के अल्वा इंग्लिश मीडियम हाई स्कूल की पढ़ाई कर रही थीं। उन्हें नौवीं में 96 फीसद नंबर मिले थे। उनके पिता नरसिम्हामूर्ति बीआर और मां पदमवथम्मा टी पी बेटी को डॉक्टर बनाना चाहते थे। लेकिन कोरोना में उपजी स्थिति के कारण उनके परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। ऐसे में उन्हें लगा कि वह इतनी मेहनत से जिन परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं उन्हें वह नहीं दे पाएँगी।

वह बताती हैं, “कोरोना संकट के कारण हम स्कूल की फीस का भुगतान करने की स्थिति में नहीं थे, इसलिए मैं स्कूल की क्लास में न बैठ सकी, लेकिन मेरी बड़ी बहन कीर्थाना ने मुख्य विषयों को पढ़ने में मेरी मदद की। मैंने परीक्षा से तीन महीने पहले भाषा के विषय को सीखना शुरू कर दिया था, लेकिन यह जानकर मैं टूट गई कि स्कूल ने मेरा नाम परीक्षा के लिए रजिस्टर्ड नहीं किया है।”

इसके बाद उनका मामला आला अधिकारियों तक ले जाया गया और आगे बढ़ते-बढ़ते केस तत्कालीन प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार के पास पहुँचा। इस तरह के कई मामले सामने आने के बाद सरकार ने कहा कि फीस का भुगतान न करने के कारण किसी भी छात्र को बोर्ड परीक्षा में शामिल होने से नहीं रोका जाएगा।

वहीं, ग्रीष्मा का केस जानने के बाद शिक्षा मंत्री उनके घर भी गए और उन्हें आश्वासन दिया कि वो सप्लीमेंट्री परीक्षा में शामिल होंगी। जिसके बाद सितंबर में सप्लीमेंट्री परीक्षा करवाई गई और ग्रीष्मा के जब टॉप करने की सूचना आई तो सुरेश कुमार ने उन्हें बधाई दी और कहा कि वह अब दूसरों के लिए एक मॉडल बन गई है।

बता दें कि अब ग्रीष्मा की पढ़ाई के लिए मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ देवी शेट्टी आगे आए हैं। उन्होंने कहा, “जो भी डॉक्टर बनना चाहता है मैं उसका साथ दूँगा। मैं चाहता हूँ कि ग्रीष्मा कार्डियोलॉजिस्ट बने। उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट पाने के लिए मेहनत करनी होगी।” इधर ग्रीष्मा ने कहा, “मैं पीयूसी में अच्छी तरह से अध्ययन करने और एमबीबीएस में सीट पाने के लिए कड़ी मेहनत करूँगी। मेरा मानना है कि हर छात्र को पढ़ने का अधिकार है।”

उल्लेखनीय है कि एक ओर जहाँ ग्रीष्मा को अपनी 10वीं की परीक्षा पास करने से पहले स्कूल के कारण चुनौती का सामना करना पड़ा। वहीं स्कूल की प्रिंसिपल विजया टी मूर्ती ने बताया कि ग्रीष्मा के माता-पिता ने उनसे संपर्क नहीं किया था और दसवीं कक्षा में प्रमोट होने के बाद से उनसे कोई बातचीत नहीं हुई।

स्कूल का कहना है कि उन्होंने ग्रीष्मा के माता-पिता को बुलाया था और यहाँ तक ​​कि शैक्षणिक वर्ष शुरू होने पर उसे 10 वीं कक्षा में दाखिला दिलाने के लिए पत्र भी भेजा था, लेकिन वहाँ से कोई जवाब नहीं आया। उनके मुताबिक ये स्कूल के लिए हैरान करने वाली बात है कि उन्हें फीस माँगने को दोषी करार दिया गया है। उन्होंने 340 अन्य छात्रों को बिना किसी परेशानी के पंजीकरण किया था। अगर ग्रीष्मा के संबंध में बातचीत होती तो ऐसी परेशानी नहीं होती।

वहीं ग्रीष्मा ने बताया कि स्कूल ने उनका नाम पूर्व मंत्री के हस्तक्षेप के बाद बोर्ड को भेजा था, डीडीपीआई मामले की देखरेख कर रहा था। इसी के कारण वह परीक्षा में बैठ पाईं। अब 10 में टॉप करके ग्रीष्मा अपने माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए साइंस साइड (विद बायोलॉजी) लेना चाहती हैं और वो इसके लिए प्रयास भी कर रही हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिस जमीन पर दशकों से रह रहे, पास में है दस्तावेज भी… उन जमीनों पर भी वक्फ बोर्ड ने ठोका दावा: केरल के वायनाड...

तलापुझा गाँव के लोगों भेजे गए नोटिस में वक्फ संपत्ति के अतिक्रमण का आरोप लगाया गया है। जैसे ही यह खबर फैली, पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।

1 किमी में 4 मस्जिद, प्रशासन ने भी माना नमाज के लिए एक और इमारत की जरूरत नहीं; लेकिन जस्टिस मोहम्मद नियास ने ‘सुन्नी...

केरल हाई कोर्ट ने कोझिकोड में सुन्नी सेंटर में नमाज आयोजित करने के लिए NOC ना दिए जाने के फैसले को रद्द कर दिया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -