दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अपनी तरह का एक पहला मामला सामने आया है, जहाँ व्हाइट फंगस की वजह से एक मरीज की बड़ी और छोटी आँत में कई छेद पाए गए। उक्त मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित भी है। अस्पताल में ‘इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी ऐंड पैनक्रिएटिकोबिलेरी साइंसेस’ के अध्यक्ष डॉक्टर अनिल अरोड़ा ने बताया कि White Fungus (Candida) के कारण भोजन की नली, छोटी आँत या बड़ी आंत में छेद का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया था।
उन्होंने जानकारी दी कि एक 49 वर्षीय महिला को पेट में बहुत अधिक दर्द, उल्टी तथा कब्ज की शिकायत के कारण सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उक्त मरीज मई 13, 2021 को अस्पताल में एडमिट हुई थी। उक्त महिला को स्तन कैंसर भी हो चुका है और इस कारण दिसंबर 2020 में उनका स्तन निकाला गया था। चार सप्ताह पहले तक उनकी कीमोथेरेपी भी हुई थी। मरीज की सर्जरी हुई है।
डॉक्टर अरोड़ा के अनुसार, उक्त महिला मरीज के पेट का सीटी स्कैन किया गया तो पता चला कि उनके पेट में पानी और हवा है, जो आंत में छेद के कारण होता है। सर्जरी के दौरान पाया गया कि भोजन की नली के निचले हिस्से में भी छेद था। छोटी आँत के एक हिस्से में गैंगरीन (खून की सप्लाई रुक जाने के साथ टिसूज का मर जाना) होने की वजह से उस हिस्से को निकाल दिया गया। उक्त महिला के शरीर में कोविड-19 की एंटीबॉडी का स्तर काफी अधिक पाया गया।
#BREAKING | In a first, #WhiteFungus causes holes in small and large intestine of patient at Delhi hospital
— DNA (@dna) May 27, 2021
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महिला में व्हाइट फंगस की शिकायत पाए जाने के बाद उन्हें एंटी फंगल दवाएँ दी गईं और बताया जा रहा है कि अब उनकी हालत ठीक है। इससे पहले ब्लैक फंगस के कारण कई राज्यों में पहले से ही स्थिति गंभीर है। असल में डॉक्टरों का कहना है कि महिला के कैंसर पीड़ित होने, उनकी कीमोथैरेपी होने और फिर इसके बाद कोरोना वायरस संक्रमण होने के कारण महिला की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर हो चुकी थी।
व्हाइट फंगस से आँत में छेद होने का ये भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का पहला मामला है। बता दें कि व्हाइट फंगस का असली नाम कैंडिडियासिस है और ये अधिकतर ICU में दाखिल मरीजों में पाया जाता है। जो लोग कई दिनों से एंटीबायोटिक दवाएँ ले रहे हैं, उनमें भी इसका खतरा ज्यादा है। इसी तरह अब ‘येलो फंगस’ भी आ गया है, जो कई अनुभवी डॉक्टरों के लिए भी नया है। ये नाक के घाव को भरने नहीं देता है, जिससे खून रिसता रहता है।
व्हाइट फंगस हाई रिजोल्यूशन सिटी (HRCT) स्कैन से पकड़ में आता है। अगर इसका संक्रमण फैलता है तो फिर देश के स्वास्थ्य व्यवस्था को तीन मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ेगी। जैसे कोरोना मुख्यतः मरीज के फेंफड़ों को निशाना बनाता है, ये भी वैसा ही करता है लेकिन कई अन्य अंगों पर भी दुष्प्रभाव छोड़ता है। मुँह के भीतर ये घाव का कारण बन जाता है। पटना में सामने आए मामलों को भी कोरोना समझ कर भर्ती किया गया था, लेकिन वो ‘व्हाइट फंगस’ के निकले।