भारत में कोरोना संक्रमण के मामले अब धीरे-धीरे 63 लाख का आँकड़ा पार कर चुके हैं। पिछले 24 घंटों की यदि बात करें तो पॉजिटिव केसों की संख्या 86 हजार से अधिक आई है। इसी के साथ भारत हर दिन सबसे अधिक नए कोरोना केस और मौतें रिकॉर्ड करने वाला देश बन गया है।
ऐसे में कई लोगों को लगता है कि भारत ने कोरोना संक्रमण को रोकने के नाम पर अपनी प्रतिक्रिया का केवल प्रचार ही किया है और उचित कदम नहीं उठाए हैं। इन दावों की पड़ताल करते हुए ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के सीनियर फेलो और हेल्थ इनिशिएटिव के हेड ओसी कुरियन ने इस पर अपनी बात रखी है। उन्होंने ट्वीट थ्रेड में एंटीजन, मास्क और लॉकडाउन सब पर चर्चा की है।
#AntigenTests #Masks #Lockdown
— Oommen C. Kurian (@oommen) October 1, 2020
India now has the highest daily recorded Covid19 new cases and deaths in the world, with cases and deaths plateauing.
There are many who think India bungled its Covid19 response badly. Here’s a #thread examining the claim. 1/n @orfonline
वह लॉकडाउन से बात शुरू करते हैं और बताते हैं कि लॉकडाउन को एक आपदा कहना फैशन हो गया है, जबकि लॉकडाउन का मकसद कोरोना के प्रसार पर रोक लगाना था। साथ ही लॉकडाउन से हेल्थ सिस्टम को अच्छे से तैयारी करने का मौका भी मिला।
Let’s start with the #lockdown.
— Oommen C. Kurian (@oommen) October 1, 2020
It’s now become fashionable to act as if the early & decisive lockdown was an unmitigated disaster. However, the aim of the lockdown was to hit a pause button in a time of almost complete uncertainty. It helped the health system prepare well. 2/n
आगे वह कहते हैं कि यह बहस हो सकती कि लॉकडाउन को कैसे लंबे समय तक के लिए लागू किया गया था। लेकिन उसी दौरान, ये ध्यान में रखना होगा कि लॉकडाउन एकमात्र साधन था जिससे हम महामारी से होने वाले नुकसान को कम कर सकते थे और इससे निपटने के लिए थोड़ा समय ले सकते थे। आज मृत्यु दर के आँकड़े देखकर हम इस बात की शिकायत नहीं कर सकते कि इससे संक्रमण पर फर्क नहीं पड़ा।
It can be debated how it was implemented, whether we dragged on for too long, etc. But at that point in time,the lockdown, a blunt instrument was all we had to keep damage low & to buy time. Now, armed with low mortality stats, we cannot complain it didnt eradicate the virus. 3/n
— Oommen C. Kurian (@oommen) October 1, 2020
इसके बाद वह भारत के उन निर्णय पर गौर करवाते हुए कहते हैं कि जब सरकार ने रैपिड एंटीजन टेस्ट को बढ़ावा दिया था, तब भारतीय विशेषज्ञों ने इसका विरोध किया था। मगर अब WHO ही रैपिड टेस्ट का विज्ञापन पूरी दुनिया में कर रहा है। ध्यान रखने वाली बात हैं कि भारत ने रैपिड टेस्टिंग का फैसला लॉकडाउन रहते ही ले लिया था।
#RapidTests
— Oommen C. Kurian (@oommen) October 1, 2020
Indian experts have often been dismissive of Rapid Antigen Tests(RATs) when the government decided to use them along with RT-PCR tests, citing false negatives. Now, the WHO itself has started promoting RATs world over, implicitly endorsing India’s early decision. 4/n
आगे वह बताते हैं कि जून तक भी WHO इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं था कि जनता को मास्क पहनने से फायदा होगा या नहीं। मगर, 130 करोड़ जनसंख्या वाले भारत में बड़े भागों में इसे अप्रैल से पहले ही कंपल्सरी कर दिया गया। अमेरिका में मास्क अनिवार्य 5 जुलाई किया गया था।
#Masks
— Oommen C. Kurian (@oommen) October 1, 2020
Till June, the WHO wasn’t sure about medical evidence to support the public wearing a mask. However, large parts of India, a country with a population of 1.3 billion people, made face masks compulsory way back in April. Countries like UK made masks mandatory in July. 5/n
वह लिखते हैं कि भारत एक जटिल देश हैं और निश्चित रूप से उसके लिए महामारी से निपटना बड़ी चुनौती है। प्रणालीगत कमजोरियों को देखते हुए, भारत के राज्य और केंद्र, संक्रमण की बढ़ती संख्या के बावजूद मृत्यु दर को कम रखने और उसमें गिरावट को लेकर, एक बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य को कर रहे हैं। हम विफल नहीं हुए हैं।
India is a complex country & certainly a big challenge for those handling a pandemic. Given the systemic weaknesses, Indian states and the Centre are doing an extremely challenging job, keeping the death rates low and declining, despite the surging numbers. We haven’t failed. n/n
— Oommen C. Kurian (@oommen) October 1, 2020