भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी से 471 करोड़ रुपए के ठेके वापस ले लिए हैं। रेलवे के मुताबिक, कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने के 4 साल बीत जाने पर भी अभी तक सिर्फ 20% काम ही चीनी कंपनी कर पाई थी। इसके अलावा चीनी कंपनी टेक्निकल दस्तावेजों को साझा करने से बच रही थी, जबकि यह बात करार का हिस्सा थी।
वर्ष 2016 में चीनी कंपनी से 471 करोड़ रुपए का करार हुआ था, जिसमें उसे 417 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक पर सिग्नल सिस्टम लगाना था। यह काम बेहद धीमी गति से किया जा रहा था।
2016 में चीनी कंपनी से 471 करोड़ का करार हुआ था, जिसमें उसे 417 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक पर सिग्नल सिस्टम लगाना था. | @Rahulshrivstvhttps://t.co/ggypkamL6H
— AajTak (@aajtak) June 18, 2020
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय रेलवे द्वारा संचालित एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ‘डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन लिमिटेड’ (DFCCIL) ने चायनीज फर्म ‘बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन कंपनी लिमिटेड’ के साथ चल रहे 471 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया है।
इस चीनी कंपनी को कानपुर से दीन दयाल उपाध्याय रेलवे सेक्शन के बीच 417 किमी के सेक्शन में सिग्नलिंग और टेलीकॉम का काम दिया गया था। ये काम 471 करोड़ रुपए का था। हालाँकि, रेलवे ने अपने इस फैसले को लेकर कहा गया है कि चीन के साथ एलएसी पर जारी तनाव के चलते यह फैसला नहीं लिया गया है।
चीनी कम्पनी के साथ यह करार रद्द करने का मामला ऐसे समय में सामने आया है जब लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष के बाद देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की माँग जोर पकड़ती जा रही है।
गौरतलब है कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच लद्दाख क्षेत्र में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों को जान गंवानी पड़ी है, जबकि चीन के भी करीब 43 सैनिकों की इस संघर्ष में मौत हुई है।
कल ही सरकार ने सरकारी टेलिकॉम कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के अलावा निजी कंपनियों को भी आदेश दिया है कि वे चीनी उपकरणों का इस्तेमाल करना बंद कर दें। सरकार ने सिक्योरिटी के खतरे का हवाला देते हुए कहा कि 4G के अपग्रेडेशन में चीनी उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।