Friday, November 15, 2024
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हफ्ते में 70 घंटे काम, 1 दिन की छुट्टी भी कैंसल: Infosys के नारायणमूर्ति ने दोहराई अपनी बात, बोले- मुझे मेरे हार्ड वर्क करने पर गर्व

उन्होंने सीएनएबीसी टीवी 18 के ग्लोबर लीडरशिप समिट के मंच से बात करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि इस देश में लोगों को कठिन परिश्रम करना बहुत जरूरी है क्योंकि कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। मैं माफी चाहता हूँ। मैंने अपना ओपिनियन नहीं बदला है। मैं इस विचार को अपनी कब्र तक लेकर जाऊँगा। मुझे इतना कठिन परिश्रम करने पर बहुत ज्यादा गर्व है।"

देश की बड़ी आईटी कंपनियों में से एक इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने पिछले साल एक पॉडकॉस्ट में देश के युवाओं को 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। उनके पॉडकॉस्ट के बाद देश में वर्किंग कल्चर पर बहुत बहसें हुईं, लेकिन नारायण मूर्ति ने इस मुद्दे पर अपनी राय नहीं बदली। उन्होंने हाल में एक मंच से 70 घंटे काम करने की बात को दोहराया और कहा कि उन्हें अपने कहे पर कोई पछतावा नहीं है।

उन्होंने सीएनएबीसी टीवी 18 के ग्लोबल लीडरशिप समिट के मंच से बात करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि इस देश में लोगों को कठिन परिश्रम करना बहुत जरूरी है क्योंकि कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। मैं माफी चाहता हूँ। मैंने अपना ओपिनियन नहीं बदला है। मैं इस विचार को अपनी कब्र तक लेकर जाऊँगा। मुझे इतना कठिन परिश्रम करने पर बहुत ज्यादा गर्व है।”

गौरतलब है कि नारायण मूर्ति ने अक्तूबर 2023 में एक पॉडकास्ट पर कहा था कि भारत की कार्य उत्पादकता दुनिया में सबसे कम है। उन्होंने भारतीय युवाओं को सलाह दी कि उन्हें हर हफ्ते 70 घंटे काम करना चाहिए, ताकि वे चीन जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।

मूर्ति के इस बयान पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आईं। कुछ उद्योगपतियों, जैसे JSW ग्रुप के चेयरमैन सज्जन जिंदल और ओला कैब्स के CEO भाविश अग्रवाल ने उनके विचारों का समर्थन किया। जिंदल ने कहा कि भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए अधिक मेहनत की आवश्यकता है, जबकि अग्रवाल ने कहा कि यह समय आराम करने का नहीं है। दूसरी ओर, लेखक चेतन भगत और व्यवसायी अशनीर ग्रोवर ने इस विचार का विरोध किया। उनका कहना था कि काम की मात्रा से ज्यादा उसकी गुणवत्ता महत्वपूर्ण है।

बता दें कि नारायण मूर्ति ने अपने शुरुआती करियर के दौरान 70 से 90 घंटे प्रति सप्ताह काम करने का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता ने उन्हें सिखाया था कि गरीबी से बचने का एकमात्र तरीका कड़ी मेहनत करना है। मूर्ति ने कहा कि जब तक युवा अधिक मेहनत नहीं करेंगे, तब तक भारत अन्य विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकेगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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