गीतकार जावेद अख्तर अपनी गलतबयानी के कारण जाने जाते हैं। हाल ही में एक टीवी शो के दौरान लेखक तारिक फतह से बहस के दौरान उन्होंने झूठ और भ्रम का पुलिंदा खड़ा कर दिया। उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी का बचाव किया, बख्तियार खिलजी को अलाउद्दीन समझ लिया और उर्दू भाषा को लेकर भी झूठी बातें की। तारिक फतह पर व्यक्तिगत हमले करके उन्होंने अपने उग्र स्वभाव का भी परिचय दिया।
जब तारिक फतह ने कहा कि खिलजी ने नांलदा यूनिवर्सिटी को जलाया तो उनका आशय बख्तियार खिलजी से था। उसके नाम पर ही पटना में बख्तियारपुर शहर का नामकरण किया गया है। लेकिन, जावेद अख्तर का जवाब था कि अलाउद्दीन एक बड़ा डिफेंडर था। यानी, उनको दोनों खिलजियों के बीच कोई अंतर ही नहीं पता था। उन्होंने ये भी दावा किया कि अलाउद्दीन खिलजी सेक्युलर था और वो हजरत निजामुद्दीन औलिया के दरगाह पर नहीं गया था।
सोशल मीडिया पर इतिहासकार ‘ट्रू इंडोलॉजी’ के हैंडल द्वारा एक के बाद उनके फेक दावों के पीछे की सच्चाई बताई गई है। दरअसल, अल्लाउद्दीन खिलजी निजामुद्दीन दरगाह पर गया था। अमीर ख्वार्ड ने अपने ‘शीरत उल औलिया’ में भी इस बात का जिक्र किया है। जावेद अख्तर का ये दावा कि खिलजी निजामुद्दीन दरगाह नहीं गया था, कहीं भी वर्णित नहीं है। फिर कहाँ से उन्होंने ये बातें लाईं?
आज भी अलाउद्दीन खिलजी के हरजत निजामुद्दीन औलिया के दरबार में हाजिरी लगाने की बातें सुनी-सुनाई जाती हैं। जावेद अख्तर ने तो खिलजी को कंधार में किला बना कर भारत की मंगोलों से रक्षा करने वाले करार दिया। ये भी फर्जी दावा है। असल में कंधार उसके साम्राज्य का हिस्सा था ही नहीं। उसका राज्य सिंधु नदी पर ही ख़त्म हो जाता था और पश्चिम में मुल्तान तक ही उसकी सीमा थी। यहाँ तक कि पेशावर भी मंगोलों के कब्जे में था।
Trying to project Khilji as secular, Javed Akhtar claims Khilji refused to go to Dargah of Nuzamuddin Auliya.
— True Indology (@TIinExile) May 1, 2020
This is FAKE.
Khilji visited Auliya’s Dargah. From Amir Khward’s “Sirat Ul Awliya”https://t.co/55ZLb4yBy1
उस समय कंधार को तिगिनाबाद के नाम से जाना जाता था और उस पर पूरी तरह मंगोलों का कब्जा था। खिलजी ख़ुद खल्ज का रहने वाला हुआ करता था, जो अफ़ग़ानिस्तान में स्थित था और मंगोल के कब्जे में था। वहाँ के शासक अक्सर पंजाब पर हमले किया करते थे। इसीलिए, ये दावा ही झूठा है कि खिलजी ने भारत को बचाया। यहाँ तक कि खिलजी के अब्बा ख़ुद मंगोलों से बच कर भारत आए थे। अफ़ग़ानिस्तान पर मंगोलों ने कब्ज़ा किया और खिलजी परिवार कुछ नहीं कर पाया। खिलजी ने कभी ‘ग्रेट मंगोल एम्पायर’ को नहीं हराया।
खिलजी का शासन इतना क्रूर था कि हर हिन्दू को अपने उत्पादन का आधा माल उसे देना होता था। कोई हिन्दू गरीब हो या धनवान, उसके जानवरों पर भी टैक्स लगाया जाता था। हिन्दुओं को घोड़े रखने की इजाजत नहीं थी, वो अच्छे कपड़े नहीं पहन सकते थे और वो हथियार भी नहीं रख सकते थे। जावेद अख्तर ने इन बातों को पढ़ कर जवाब तो नहीं दिया लेकिन कहा कि वो भागेंगे नहीं और जवाब देंगे।
Regarding Khiljis “saving” India:
— True Indology (@TIinExile) May 2, 2020
Khilji’s father himself ran away to India to save himself from Mongols.
Mongols conquered ancestral Khilji lands in Central Afghanistan. Khilji & his father could do nothing.
Today, no Khiljis there. You find Hazaras with Mongol features.
बात दें कि तारिक फतेह ने बच्चों का नाम तैमूर रखने पर आपत्ति जताई थी तो जावेद अख्तर ने जवाब दिया था कि तैमूर ने कभी दिल्ली में शासन ही नहीं किया। तारिक फतेह ने बाबर और औरंगजेब को मजहब के नाम पर लानत बताया था। जावेद अख्तर ने इस दौरान अश्वमेध यज्ञ की आलोचना की थी और कहा था कि ये साम्राज्यवाद की निशानी थी, जो आज नहीं चल सकती और ग़लत ही लगेगा। इसी तरह मुगलों ने भी जो किया, वो उस वक़्त के हिसाब से ठीक था। उन्होंने तबरेज की मौत को भी मुद्दा बनाया था