Monday, December 23, 2024
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5 साल से JNU में बतौर गार्ड तैनात रामजल मीणा ने निकाला एंट्रेंस एग्जाम, पढ़ेंगे रशियन

मीणा फोन में ही रोज़ अखबार पढ़ा करते थे और जेएनयू के छात्र भी पीडीएफ नोट्स देकर उनका सहयोग करते थे। विदेशी भाषा पढ़ वे विदेश घूमना चाहते हैं। सिविल सर्विसेज की भी तैयारी करना चाहते हैं।

जब राजमल मीणा ने 2014 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक गार्ड के रूप में क़दम रखा था, तब शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन वह इसी यूनिवर्सिटी के छात्र होंगे। राजस्थान के करौली से आने वाले मीणा ने रशियन भाषा में बीए ऑनर्स कोर्स में दाखिले की परीक्षा पास की है। मीणा ने कहा, “जेएनयू की सबसे अच्छी बात यह है कि यहाँ लोग सामाजिक भेदभाव में विश्वास नहीं रखते। तैयारी के दौरान शिक्षकों से लेकर छात्रों तक, सभी ने मेरी हौसला अफजाई की और अब वे मुझे बधाई दे रहे हैं।

मीणा ने कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है, जैसे उन्हें रातोरात बहुत बड़ी ख्याति मिल गई हो। मीणा के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। उनकी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई। लेकिन, बाद में पढ़ाई छोड़नी पड़ी। गाँव से कॉलेज की दूरी 28-30 किलोमीटर थी और उन्हें अपने पिता का हाथ बँटा कर घर-परिवार के लिए रुपए भी कमाने थे।

लेकिन मीणा ने हार नहीं मानी। पिछले वर्ष उन्होंने डिस्टेंस एजुकेशन के द्वारा राजस्थान यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान, इतिहास और हिंदी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। जेएनयू के कुलपति एम जगदीश ने कहा कि संस्थान ने हमेशा अलग-अलग सामाजिक परिवेश से आने वाले छात्रों का हौसला बढ़ाया है।

मीणा अभी मुनिरका में किराए पर रहते हैं। वो शादीशुदा हैं और उनकी 3 बेटियाँ भी हैं। मीणा मानते हैं कि परिवार की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने में वह ख़ासे व्यस्त रहे, लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं नियमित शिक्षा के लिए किसी कॉलेज में एडमिशन न ले पाने का दुःख ज़रूर था। उन्होंने जब जेएनयू के शैक्षिक वातावरण को देखा, तब उनकी यह इच्छा फिर से जाग उठी। वह अपनी ड्यूटी के दौरान व उसके बाद प्रवेश परीक्षा की तैयारी करते थे।

मीणा अपने फोन में ही रोज़ अखबार पढ़ा करते थे और जेएनयू के छात्र भी पीडीएफ नोट्स देकर उनका सहयोग करते थे। विदेशी भाषा पढ़कर मीणा का विदेश घूमने का सपना है। वह सिविल सर्विसेज की भी तैयारी करना चाहते हैं। लेकिन, रुपयों को लेकर उनकी चिंता बनी हुई है। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी घर की वित्तीय ज़रूरतों को लेकर चिंतित रहती है। जेएनयू में नौकरी करते हुए नियमित शिक्षा पाना कठिन है, इसीलिए उन्होंने नाइट शिफ्ट दिए जाने की माँग की है। फिलहाल उन्हें 15,000 रुपए प्रति महीने मिलते हैं।

जेएनयू के मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि नियमित शिक्षा के साथ जेएनयू में नाइट शिफ्ट में नौकरी कर पाना संभव नहीं है, लेकिन उन्हें मीणा पर गर्व है और उन्हें हरसंभव सहयोग दिया जाएगा। मीणा ने बताया कि फरवरी 2016 में हुए प्रकरण (जेएनयू नारेबाजी प्रकरण) के कारण कुछ लोगों ने अपने मन में इस संस्थान को लेकर ग़लत छवि बना ली है, लेकिन आज हर क्षेत्र में कई बड़े पदों पर जेएनयू से पढ़े लोग हैं। उन्होंने कहा कि वे भी यहाँ से पढ़ कर कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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