Monday, November 18, 2024
Homeविविध विषयअन्यक्या है हवाना सिंड्रोम, कैसे करता है वार? भारत में शिकार बनने का दावा...

क्या है हवाना सिंड्रोम, कैसे करता है वार? भारत में शिकार बनने का दावा कर रही अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA

भारत में यह इस तरह का पहला मामला है। वैसे अमेरिकी अधिकारी सबसे पहले 2016 में इसके शिकार हुए थे। तब क्यूबा के अमेरिकी दूतावास में मौजूद अधिकारियों में इस रहस्यमयी बीमारी के लक्षण पाए गए थे।

ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया चीनी कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने की कोशिश में लगी है, अचानक से हवाना सिंड्रोम (Havana Syndrome) चर्चा में आ गया है। दरअसल दावा किया जा रहा है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के अधिकारी हाल ही में भारत में इसका शिकार हो गए। बताया जा रहा है कि यह तब हुआ जब अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान के लौटने के बाद बदले हालात पर चर्चा करने के लिए सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स भारत में थे।

उन्होंने सीएनएन और न्यूयॉर्क टाइम्स को रहस्यमयी बीमारी हवाना सिंड्रोम (Havana syndrome) के लक्षणों के बारे में बताया। उनके मुताबिक, करीब 200 अमेरिकी अधिकारी और उनके परिवार के सदस्य हवाना सिंड्रोम से पीड़ित हो गए हैं। भारत में यह इस तरह का पहला मामला है। वैसे अमेरिकी अधिकारी सबसे पहले 2016 में इसके शिकार हुए थे। तब क्यूबा के अमेरिकी दूतावास में मौजूद अधिकारियों में इस रहस्यमयी बीमारी के लक्षण पाए गए थे।

क्या है, कैसे पड़ा नाम

करीब 5 साल पहले क्यूबा की राजधानी हवाना के अमेरिकी दूतावास में काम कर रहे अधिकारी एक-एक कर बीमार पड़ने लगे थे। उन्हें होटल के कमरों, घरों में अजीब सी आवाजें सुनाई देती थी। अधिकारियों ने अपने सिर में दबाव और झनझनाहट की शिकायत की थी। वे सभी थकान महसूस कर रहे थे। उनकी याददाश्त जा रही थी और उन्हें कान में दर्द और सुनने में भी तकलीफ हो रही थी। जब इन सभी के दिमाग का स्कैन कराया गया तो बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ।

बताया जाता है कि जिस प्रकार दुर्घटना या बम विस्फोट के दौरान ब्रेन टिश्यू (दिमागी ऊत्तकों) क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, वैसे ही इस बीमारी में होता है। इसके तुरंत बाद ही अमेरिकी सरकार ने अपने दूतावास के आधे से ज्यादा स्टाफ को वापस बुला लिया था। सबसे पहले इस अजीबोगरीब बीमारी के बारे में हवाना में पता चला था, इसलिए इसे ‘हवाना सिंड्रोम’ नाम दिया गया। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, कोलंबिया, रूस और उज्बेकिस्तान में भी इसके मामले सामने आए थे।

लक्षण, कैसे होता है?

इस बीमारी में देखने में परेशानी, जी मिचलाना, लड़खड़ाना, बैलेंस बिगड़ना, सिर चकराना आदि लक्षण पाए जाते हैं। इसके अलावा सुनने की क्षमता कम होना, सिर के अंदर तेज दबाव या वाइब्रेशन भी होता है।

अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के अनुसार, यह सिंड्रोम ‘डायरेक्‍टेड, पल्‍सड रेडियो फ्रीक्‍वेंसी एनर्जी’ से होता है। सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्‍स ने कहा है कि बहुत हद तक संभव है कि यह सिंड्रोम इंसानी नियंत्रण में हो और शायद रूस इसके पीछे हो। अमेरिका के ज्‍यादातर अधिकारी मानते हैं कि यह इलेक्‍ट्रॉनिक हथियारों से किया गया हमला है। हालाँकि, अभी तक किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुँचा जा सका है।

बता दें कि अमेरिकी रक्षा विभाग को लगता है कि रूस ऐसे हमले करवा रहा है। एक महीने के अंदर ऐसा दूसरी बार हुआ है जब बाइडन प्रशासन के अधिकारियों की अंतरराष्‍ट्रीय यात्रा रहस्‍यमय बीमारी से प्रभावित हुई है। अभी पिछले महीने ही अमेरिका की उपराष्‍ट्रपति कमला हैरिस की वियतनाम यात्रा को इसलिए कुछ समय के लिए टाल दिया गया था, क्‍योंकि अमेरिका के कई अधिकारी यात्रा से पहले हवाना सिंड्रोम का शिकार हो गए थे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -