कोरना वायरस के संक्रमण से अभी तक दुनिया पूरी तरह उबर नहीं पाई है। मंकीपॉक्स का खतरा भी बढ़ रहा है। इसी बीच घातक मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) ने चिंता बढ़ा दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 17 जुलाई 2022 को एक बयान में कहा है कि पश्चिमी अफ्रीकी देश घाना में अत्यधिक संक्रामक मारबर्ग वायरस के दो मामलों की पुष्टि हुई है।
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, मारबर्ग वायरस के कारण घाना के दक्षिणी अशांति क्षेत्र में पिछले महीने 2 लोगों की मौत हुई थी। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इन दोनों मरीजों में दस्त, बुखार, मितली और उल्टी के लक्षण दिखे थे। इनके संपर्क में करीब 90 लोग आए हैं, जिनकी निगरानी की जा रही है।
घाना के स्वास्थ्य अधिकारी वहाँ के लोगों को गुफाओं से दूर रहने और सभी मीट प्रोडक्ट्स को खाने से पहले अच्छी तरह से पकाने की चेतावनी दे रहे हैं। घाना के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि 98 लोगों को संक्रमितों के संपर्क में आने के कारण क्वारंटाइन किया गया है। हालाँकि, उनमें से किसी में अभी संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है। मारबर्ग वायरस की अब तक कोई भी दवा या वैक्सीन नहीं है। यह इबोला की तरह ही जानलेवा और खतरनाक है। मारबर्ग का संक्रमण चमगादड़ों से ही फैला है।
जानकारों के मुताबिक, इस वायरस के कारण मारबर्ग वायरस डिजीज (MVD) का खतरा होता है और इसकी मृत्युदर 88 फीसदी से अधिक हो सकती है। बताया जा रहा है कि ये वायरस भी इबोला परिवार का ही सदस्य है। लेकिन इबोला से ज्यादा तेजी से संक्रमण फैलाता है। इसमें अचानक तबीयत खराब हो जाती है। यह बीमारी तेज बुखार, सिरदर्द के साथ शुरू होती है। साल 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट में और सर्बिया के बेलग्रेड में सबसे पहले इस वायरस का प्रकोप देखा गया था।
मारबर्ग वायरस के लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी इंसान में मारबर्ग वायरस के लक्षण दिखने में 2 से 21 दिन का समय लगता है। इस वायरस के लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, खून की उल्टी और खून का बहना शामिल है। समय पर इलाज नहीं मिलने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है।
ऐसे फैलता है संक्रमण
मारबर्ग वायरस से संक्रमित व्यक्ति के खून, लार, पसीना, मल, उल्टी, आदि के संपर्क में आने से संक्रमण दूसरे लोगों में फैल सकता है। यही नहीं संक्रमित व्यक्ति के कपड़े और बिस्तर के इस्तेमाल से भी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।
कोई वैक्सीन नहीं
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इसकी रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं। मारबर्ग वायरस के लिए न तो कोई एंटीवायरल उपचार मौजूद है और न ही कोई टीका। हालाँकि, डिहाइड्रेशन और विशिष्ट लक्षणों के उपचार सहित देखभाल की मदद से इस वायरस से मरीजों को बचाया जा सकता है।
बता दें कि अफ्रीका के अन्य हिस्सों युगांडा, केन्या, अंगोला, दक्षिण अफ्रीका और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में भी मारबर्ग वायरस कहर बरपा चुका है। 2005 में अंगोला में मारबर्ग वायरस ने 200 से अधिक लोगों की जान ले ली थी, जिसके बाद डब्लूएचओ ने इसे मारबर्ग वायरस का सबसे घातक प्रकोप करार दिया था।