भारत के कई हिस्सों में में गौ वंश लम्पी स्किन रोग नामक का शिकार हो रहे हैं। इस रोग से पीड़ित गौ वंश को बुखार आते हैं। बाद में उनके शरीर पर धब्बे पड़ने लगते हैं। हालत गंभीर होने पर बहुत सी गायों की मौत भी हो गई है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रकोप राजस्थान में दिखाई दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पर चिंता जताई है और केंद्र की मोदी सरकार से सहायता की माँग की है।
यह राशि पूर्व में आपातकालीन बजट में समस्त जिला स्तरीय कार्यालयों तथा बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालयों को आवंटित राशि के अतिरिक्त जारी की गई है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) August 4, 2022
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अशोक गहलोत ने बताया कि गौ वंश को लम्पी रोग से बचाने के लिए राज्य सरकार सभी प्रयास कर रही है। उन्होंने पशुधन को किसानों की जीवन रेखा बताया। केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता की माँग के साथ गहलोत ने गौशाला चलाने वालों, स्वयंसेवी संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों से इस बीमारी को रोकने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है।
पशुधन राजस्थान के किसानों की जीवन रेखा है। गौवंश पशुपालकों को अकाल की स्थिति में आर्थिक संबल प्रदान करते है। सदियों से पशुपालक पशुधन के बल पर विपरित परिस्थितियों से लड़ते आ रहे हैं।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) August 4, 2022
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जानकारी के मुताबिक यह बीमारी राजस्थान के अलावा गुजरात, तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक, केरल, असम, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेष और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में पाँव पसार रही है। राजस्थान में यह खास तौर पर जैसलमेर, जालौर, बाड़मेर, पाली, सिरोही, नागौर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जोधपुर, चुरू, जयपुर, सीकर, झुंझुनू, उदयपुर, अजमेर व बीकानेर जिलों में फैली है। अकेले राजस्थान में इस रोग से प्रभावित होने वाले पशुओं की संख्या 1 लाख 21 हजार तक बताई जा रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक लंपी स्किन एक वायरल बीमारी है। इसका कोई सटीक इलाज नहीं है। यह मछर की कुछ प्रजातियों और खून चूसने वाले कीड़ों के काटने से फ़ैल रहा है। एक पशु से दूसरे पशु में यह तेजी से फैलता है। पशु डॉक्टर इस रोग का इलाज लक्षणों के आधार पर करते हैं। बीमारी द्वारा पशुओं के अधिक नुकसान होने पर पशुओं की मौत भी हो जाती है।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक इस बीमारी के इंसानों में फैलने की आशंका न के बराबर बताई जा रही है। डॉक्टरों ने पशुओं को छूने के बाद हाथ धोने की सलाह भी दी है। बताया गया है कि गौ वंश के अलावा यह बीमारी भैंस, बकरी और भेड़ों में भी तेजी से फ़ैल सकती है। इस बीमारी से पशुओं के बचाव के लिए समय पर उनके टीकाकरण की सलाह दी गई है।