वामपंथी लिबरल लोग कितने ही बुद्धिजीवी हों लेकिन उनके भीतर का पाखंड हमेशा नहीं छिपता। 2 दिन पहले भारत के प्रख्यात कानूनविद व वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन का 21 फरवरी 2024 को निधन हुआ था। उन्होंने जीवन में कई उपलब्धियाँ हासिल की थीं (जैसे 1991 से 2010 तक बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष थे और 1972 से जून 1975 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भी), लेकिन क्या आपको मालूम है कि एक बार फली एस नरीमन भी भरे मंच से अपनी हिपोक्रेसी को उजागर कर बैठे थे।
उन्होंने साल 2017 में प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए एक इंटरव्यू में सवाल किया था कि क्या योगी आदित्यनाथ को राज्य का मुख्यमंत्री बनाना ‘हिंदू राष्ट्र’ की शुरुआत है… उनके इस सवाल की सबसे हास्यास्पद बात ये थी कि फली नरीमन ने ऐसा तब कहा था जब उनका खुद का बेटा पारसी ‘पादरी’ (पारसी समुदाय में पूजा कराने वाले) होते हुए सुप्रीम कोर्ट में जज बना।
दरअसल, फली एस नरीमन ने 2017 में द प्रिंट वाले शेखर गुप्ता को एक इंटरव्यू दिया था। इसी में उन्होंने पीएम मोदी का नाम लेकर सवालिया अंदाज में पूछा था कि क्या एक हिंदू योगी को देश के सबसे आबादी वाले राज्य का मुख्यमंत्री बनाना हिंदू राष्ट्र की शुरुआत है। इंटरव्यू में ये बात उन्होंने तब शुरू की थी जब शेखर गुप्ता ने उनसे पूछा था कि उन्हें क्या लगता है कि कौन सा संवैधानिक अधिकारी सबसे ज्यादा खतरे में है।
'The govt should be asked if we are heading towards a Hindu state. A head priest being CM is a little odd' — Watch what jurist Fali Nariman told Editor-in-Chief @ShekharGupta at ThePrint #OTC in March 2017https://t.co/CZGUjERGhA pic.twitter.com/E2AwaZe2OE
— ThePrintIndia (@ThePrintIndia) February 21, 2024
इस पर फली एस नरीमन ने कहा था कि पूरा संविधान ही खतरे में है क्योंकि यूपी में भाजपा की प्रचंड बहुमत से जीत हो गई है। उन्होंने कहा था, “देखो, संविधान खतरे में है। बहुत फ्रैंक होकर कहूँ तो यूपी में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद पीएम के कहने पर उत्तर प्रदेश में एक महंत को मुख्यमंत्री बना दिया गया, विक्टरी केक पर चेरी की तरह। ये संदेश है। अगर आप इसे नहीं देख पा रहे तो या तो आप राजनैतिक पार्टी के प्रवक्ता हो सकते हैं या आपको दिमाग और आँख चेक कराने चाहिए।”
इसी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि आखिर क्यों कोई सांसद और पत्रकार ये नहीं पूछ रहा कि क्या वाकई ये एक हिंदू राष्ट्र बनाने की शुरुआत है? इस इंटरव्यू में फली नरीमन ने यहाँ तक भी कहा था कि संविधान देने वाले भी ज्यादातर रूढ़िवादी हिंदू थे। 299 में से 233 रूढ़िवादी हिंदू थे। सबसे ज्यादा राजेंद्र प्रसाद थे।
आगे फली नरीमन ने यही कहा था – प्रधानमंत्री से पूछा जाना चाहिए चाहिए कि क्या देश हिंदू राष्ट्र होने वाला है। कृपया बताइए, हमें जनना है, क्या संविधान में भी संशोधन होगा।
उनका दुख ये था कि आखिर योगी के सीएम बनने पर संसद में आवाज क्यों नहीं उठी। वहीं जब शेखर गुप्ता ने उन्हें कहा कि जब एक व्यक्ति 5 बार सांसद बन सकता है तो सीएम बनने में क्या समस्या। इस पर फली नरीमन ने कहा था कि मोदी ही इसका जवाब दे सकते हैं, उन्हें कौन रोकेगा, लेकिन एक मंदिर के महंत का सीएम होना थोड़ा अजीब है।
यहाँ गौर करने वाली बात है कि जिन फली नरीमन को एक हिंदू योगी के सीएम बनने से दिक्कत थी उन्हें अपने बेटे रोहिनटन नरीमन के पारसी ‘पादरी’ होने के साथ सुप्रीम कोर्ट के जज होने पर कभी कुछ नहीं कहा। उलटा उन्होंने तो इसे खुशी-खुशी अपनी किताब में बताया कि उनका परिवार पादरियों के परिवार रहा है और उनकी पत्नी ने सुनिश्चित किया था कि बेटा भी ‘पादरी’ होगा। 12 साल की उम्र में रोहिंटन को ‘पादरी’ चुना गया था। बाद में जाकर वह अच्छे वकील भी बने और सुप्रीम कोर्ट में जज भी।
रोहिंटन नरीमन ने 2021 के एक इंटरव्यू में कहा था, “12 साल की उम्र में एक ‘पादरी’ के रूप में मेरे कार्यकाल ने मेरे जीवन को काफी हद तक बदल दिया है।” उन्होंने इंटरव्यू में बताया था कि ‘पादरी’ होने से उनके जीवन में क्या बदलाव आया और कैसे बतौर ‘पादरी’ सीखी चीजों से उनके प्रोफेशनल जीवन काम करने की क्षमता भी बेहतर हुई। यही नहीं इंटरव्यू में ये भी बताया गया था कि फली नरीमन को अपने बेटे के ‘पादरी’ होने पर गर्व था वह इसका जिक्र दूसरों के आगे भी करते थे।
अब खास यही है कि फली नरीमन जो अपने बेटे के ‘पादरी’ होने को इतना समर्थन देते थे और उन्हें पढ़ा लिखाकर एक वरिष्ठ वकील तक बनाया लेकिन फिर भी उन्हें समस्या हुई तो किससे एक योगी के सीएम बनने से। वो कहते थे पीएम ने मुख्यमंत्री का पद योगी आदित्यनाथ को इसलिए दिया क्योंकि वो राज्य को धार्मिक राज्य बनाना चाहते हैं।
नोट- यह रिपोर्ट रुकमा राठौड़ द्वारा मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई है। विस्तार से इसे पढ़ने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।