भारत सरकार की बीमा कम्पनी जीवन बीमा निगम (LIC) बुधवार (17 जनवरी 2024) को देश की सबसे अधिक बाजार पूँजीकरण वाली सरकारी कम्पनी बन गई। LIC ने अब तक भारत की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी रही भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को पीछे छोड़ दिया। LIC के सबसे बड़ी कम्पनी बनने के साथ ही उन आलोचकों को जवाब मिल गया, जो इसके विनिवेश को लेकर सवाल उठा रहे थे।
दरअसल, 17 जनवरी 2024 को शेयर बाजार में LIC के एक शेयर का भाव चढ़कर ₹918 तक पहुँच गया। इससे इसका बाजार पूँजीकरण ₹5.6 लाख करोड़ को पार कर गया। इसी के साथ LIC ने ₹5.5 लाख करोड़ के पूँजीकरण वाली सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक को भी पीछे छोड़ दिया। SBI अब तक सबसे अधिक बाजार पूँजीकरण वाली सरकारी कंपनी थी।
LIC एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है अर्थात इसमें 50% से अधिक हिस्सेदारी सरकार के पास है। LIC में वर्तमान में 96.5% हिस्सेदारी केंद्र सरकार की है, जबकि 3.5% हिस्सा निवेशकों को पास है। मई 2022 में यह शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई थी। LIC देश की सबसे बड़ी सरकारी कम्पनी होने के साथ ही देश की सबसे बड़ी बीमा कम्पनी भी है। वर्तमान में इसके 25 करोड़ पॉलिसीधारक हैं।
LIC के देश की सबसे बड़ी सरकारी कम्पनी बनने के साथ ही उन आलोचकों को भी जवाब मिल गया, जो LIC और इसके निवेश करने के तरीके पर प्रश्न उठा रहे थे। जनवरी 2023 से कॉन्ग्रेस के नेताओं ने LIC पर आरोप लगाए थे कि LIC अडानी के शेयर खरीद रही है, जबकि उस पर हिंडनबर्ग ने आरोप लगाए हैं। उनका दावा था कि अडानी समूह में पैसे लगाने के कारण हो LIC को नुकसान हो गया।
कॉन्ग्रेस ने आरोप लगाया था कि LIC के जरिए केंद्र सरकार अडानी समूह को पैसा मुहैया करवा रही है। कॉन्ग्रेस ने मई 2023 में ये भी कहा था कि अडानी में निवेश के कारण LIC का बाजार पूँजीकरण कम हो गया। मई 2023 में LIC का बाजार पूँजीकरण लगभग ₹3.6 लाख करोड़ था। अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट प्रकाशित किया था, जिससे अडानी के शेयर गिर गए थे।
LIC अडानी समूह ही नहीं देश की कई सारी कम्पनियों में पैसा लगाती है। ऐसा वह अपने पॉलिसीधारकों को अच्छा रिटर्न देने के लिए करती है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस के आरोप गलत साबित हुए हैं। बीते 6 माह में LIC के शेयर लगभग 43% बढ़ चुके हैं। अडानी समूह भी उबर चुका है। जो कॉन्ग्रेस अडानी समूह के विरुद्ध प्रचार में लगी थी, उसकी ही तेलंगाना सरकार अडानी से समझौते कर रही है।