Sunday, November 17, 2024
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राजस्थान में मिला ‘सफेद सोना’, देश का 80% डिमांड पूरा करने में सक्षम: जम्मू-कश्मीर में भी मिला था लीथियम का भंडार, चीन का एकाधिकार होगा खत्म

लिथियम के लिए भारत अब तक चीन, ऑस्ट्रेलिया और चिली जैसे देशों पर निर्भर है। इस विशाल भंडार के मिलने के बाद चीन का एकाधिकार खत्म होने की बात कही जा रही है।

राजस्थान में लिथियम का बड़ा भंडार मिला है। इससे देश की 80% लिथियम माँग को पूरा किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि भारत को अब लिथियम के लिए चीन जैसे देशों पर निर्भर नहीं रहना होगा। लिथियम का उपयोग मोबाइल, लैपटॉप के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी में किया जाता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लिथियम का यह विशाल भंडार राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना में मिला है। इसकी खोज जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने की है। जीएसआई के अधिकारियों का कहना है कि लिथियम का यह भंडार जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार से कहीं अधिक बड़ा है। इसी साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर में लिथियम के 59 लाख टन भंडार का पता चला था।

मौजूदा समय में दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम भंडार 210 लाख टन का है, जो कि बोलीविया में है। इसके बाद अर्जेंटीना, चिली और अमेरिका में भी बड़े भंडार हैं। इसके बावजूद 51 लाख टन लिथियम के भंडार वाले देश चीन का लिथियम के बाजार में एकाधिकार है। भारत अपने कुल लिथियम आयात का 53.76 प्रतिशत हिस्सा चीन से खरीदता है। साल 2020-21 में भारत ने 6000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य का लिथियम आयात किया था। इसमें से 3500 करोड़ रुपए से अधिक का लिथियम चीन से खरीदा गया था।

लिथियम के लिए भारत अब तक चीन, ऑस्ट्रेलिया और चिली जैसे देशों पर निर्भर है। इस विशाल भंडार के मिलने के बाद चीन का एकाधिकार खत्म होने की बात कही जा रही है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि खाड़ी देशों की ही तरह राजस्थान के साथ-साथ पूरे देश की भी किस्मत चमकने वाली है।

दिलचस्प बात यह है कि जियोलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया की टीम लिथियम की खोज नहीं, बल्कि टंगस्टन की खोज के लिए डेगाना गई थी। लेकिन वहाँ उन्होंने लिथियम का भंडार खोज निकाला। अंग्रेजी शासन के समय इस क्षेत्र में टंगस्टन का बड़ा भंडार था।

क्या है लिथियम

आप जिस मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं उसमें लगी बैटरी बनाने में लिथियम का उपयोग किया जाता है। वास्तव में, लिथियम दुनिया की सबसे मुलायम और सबसे हल्की धातु है। इसे चाकू से काटा जा सकता है और यह आसानी से पानी में तैरती भी है। लेकिन इसका महत्व इसके मुलायम होने या पानी में तैरने से नहीं, बल्कि बैटरी में उपयोग होने के चलते बहुत अधिक बढ़ गया है। लिथियम रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल देता है।

आज घर के सभी चार्जेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और बैटरी से चलने वाले हर गैजेट में लगी बैटरी में लिथियम का उपयोग होता है। दुनिया अब ग्रीन एनर्जी की तरफ बढ़ रही है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर अन्य सभी उपकरणों में लगने वाली बैटरी की माँग लगातार बढ़ती जा रही है। पूरी दुनिया में हो रही माँग में वृद्धि के चलते ही इसे ‘व्हाइट गोल्ड’ भी कहा जाता है। एक टन लिथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपए है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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