कट्टरवादी इस्लामी उपदेशक ‘डॉक्टर’ ज़ाकिर नाइक ने पुरुषों के हस्तमैथुन की इस्लाम के हिसाब से व्याख्या की है। कई मामलों में अजीबोग़रीब फरमान सुनाने वाले मलेशिया में रह रहे भारतीय भगोड़े ने दावा किया कि पुरुष अगर बीवी की सोच में मगन होकर हस्तमैथुन करता है तो ये इस्लाम में हराम नहीं है। इससे पहले उसने ‘मेरी क्रिसमस’ की बधाई देने को इस्लाम में पाप करार दिया था और मुस्लिमों को इससे बचने की सलाह दी थी।
नवंबर 23, 2020 को उसने इस्लाम और हस्तमैथुन पर अपनी व्याख्या दी थी। अब रविवार (फरवरी 7, 2021) को उसने इसका दूसरा भाग वीडियो के रूप में जारी किया है। उसने दावा किया कि इस पर उसके ओरिजिनल वीडियो को 1 लाख से भी अधिक लोगों ने मात्र 24 घंटे में देखा था। उससे व्हाट्सएप्प के जरिए किसी ने पूछा था कि इस्लाम में हस्तमैथुन हराम है या हलाल। 27 दिनों में इसे 10 लाख लोगों ने देखा और इसका उर्दू, अरबी और इंडोनेशियन में अनुवाद भी हुआ।
इस्लामी कट्टरवादी ने दावा किया कि ये मुस्लिमों द्वारा पूछा जाने वाला सबसे सामान्य सवाल है। एक बड़े इस्लामी वेबसाइट पर भी कई मुस्लिमों ने इसे लेकर फतवा जारी करने की अपील की है। उसने कहा कि 70-80% लोग पोर्न देखते हुए हस्तमैथुन करते हैं, जो हराम है। लेकिन, उसने ये भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति की बीवी नहीं है और वो उसके बारे में सोचते हुए हस्तमैथुन करता है तो ये हराम नहीं है।
उसने पूछा कि अपनी बीवी के बारे में सोचने में क्या हराम होगा? उसने कहा कि कुरान के चैप्टर 23 के सुरा संख्या 5-7 के आधार पर कई विद्वान इसे इस्लाम में हराम मानते हैं, जिसमें बताया गया है कि असली मुस्लिम वही है, जो शुद्धता का अनुसरण करे और अपने प्राइवेट पार्ट्स को अवैध यौन कृत्यों के लिए इस्तेमाल न करे। उसने कहा कि ये सिर्फ प्राइवेट पार्ट्स की सुरक्षा के लिए है, कुरान में कहीं हस्तमैथुन पर प्रतिबंध नहीं है।
उसने कहा, “पैगम्बर मुहम्मद ने लोगों को अपने प्राइवेट पार्ट्स को जब तक उसकी इच्छा हो, तब तक छूने की अनुमति दी है, बशर्ते वो बाएँ हाथ से किया गया हो। पैगम्बर मुहम्मद ने कहा है कि ये आपका द्रव है और आप जब चाहें तब उसे निकाल सकते हैं।” ज़ाकिर नाइक ने कहा कि दो तरह के हस्तमैथुन होते हैं – एक आप खुद करते हैं और एक पार्टनर से करवाते हैं। उसने कहा कि कहीं ऐसा नहीं लिखा है कि बीवी को शौहर के प्राइवेट पार्ट्स छूने का हक़ नहीं।
उसने कहा कि जब बीवी द्वारा अपने शौहर के प्राइवेट पार्ट्स को छूने की अनुमति है तो फिर खुद से तो ये सब किया ही जा सकता है। इससे पहले उसने कहा था कि अगर कोई मुस्लिम दीन (मजहब) का अनुसरण करता है, तभी उसे भारत जैसे देश में ब्यूरोकेट बनना चाहिए। उसने कहा था कि मुस्लिमों के पास ब्यूरोकेट बनने का एक ही कारण होना चाहिए और वो है अपने मजहब का प्रचार-प्रसार करना, अपने मजहब के कर्तव्यों का पालन करना।
पिछले साल ज़ाकिर नाइक ने कहा था कि पत्रकार रवीश कुमार हों या ‘समुदाय विशेष का पक्ष लेने वाले’ अन्य दूसरे धर्मों वाले, उन सभी के लिए समान सज़ा की ही व्यवस्था है। ज़ाकिर नाइक ने अपने अनुयायियों को समझाया था कि जन्नाह अलग-अलग तरह के होते हैं, जैसे फिरदौस और फिरदौस आला। नाइक ने कहा था कि जब कोई जन्नत में जाता है तो सबके लिए अलग-अलग लेवल की व्यवस्था की गई है, सारे जन्नाह समान नहीं होते।