पत्रकारों से बातचीत के दौरान नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “मैं उस वक्त 50 साल का था। मैं बहुत परेशान हो गया था, क्योंकि मुझे डर था इससे इस्लामोफोबिया की लहर उठ सकती थी। खुशकिस्मती रही कि तब ऐसा नहीं हुआ, लेकिन मुझे याद है कि मैं स्थिति को लेकर बहुत चिंतित था और सोच रहा था कि यह किस ओर ले जाएगा।”
नसीरुद्दीन शाह ने आगे कहा, “जब पूरी विपदा से निपट लिया गया, तब आखिर में मेरे मन में द्वंद्व चल रहा था। जब डील पूरी हुई, तो मैं असहज था। मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों लगा, लेकिन महसूस किया कि पैसेंजर और पायलेट मुश्किल दौर से गुजरे थे।”
नसीरुद्दीन शाह के इस बयान के बाद अब एक बार फिर ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या कहीं यही असली वजह तो नहीं है कि जो सीरीज में जानबूझकर आतंकियों के असली नाम बताने की जगह उनके कोडवर्ड को ज्यादा बताया गया और ये दिखाया गया कि वो लोग कितने ज्यादा अच्छे इंसान थे।
Naseeruddin Shah says when IC 814 Hijack happened, he was worried about 'Islamophobia'.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) September 3, 2024
"I feared that it would lead to Islamophobia"
Is this why the Web Series whitewashed the Terrorists and showed them good human beings?
And instead showed R&AW in bad light? pic.twitter.com/F4MAEbk9Ib
लोगों का कहना है कि अगर कोई अपराध किसी मजहब से जुड़े आतंकियों ने किया है तो फिर उसकी जानकारी देने से इस्लामोफोबिया कैसे फैल जाएगा। इसके अलावा ये भी कहना है कि जिस समय पूरी दुनिया उन यात्रियों की सलामती की दुआ कर रहा था, उस समय में भी ये व्यक्ति सिर्फ इस्लाम के बारे में ही सोच रहा था।