Sunday, November 17, 2024
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गो वीगन के नाम पर ‘SEX’ बेच रहा PETA, प्रमोशन के लिए सेक्सुअल एक्ट का सहारा: Video में दिखाए फलों के साथ ‘गंदे’ प्रयोग

आपत्तिजनक वीडियो साझा करके मीट खाने वालों के लिए ये बताया गया कि वो कुछ टाइम के लिए बिस्तर पर जोश में होते हैं और फिर हल्के पड़ जाते हैं जबकि वीगन व्यक्ति घंटों-घंटों अपने पार्टनर के साथ इन्वॉल्व रहते हैं और अलग अलग सेक्सुअल पोजिशन ट्राय करके अपने साथी को आनंद देते हैं।

पेटा के दोहरे रवैये से तंग आकर आमजन वैसे भी उनकी बातों पर गौर नहीं करते शायद इसीलिए अब उन्होंने खुद को केंद्र में लाने के लिए सेक्स संबंधी चीजों का सहारा लिया है। पेटा अपने ट्विटर अकॉउंट पर सेक्स से जुड़ी वीडियोज डाल रहा है। फलों पर उंगली से प्रयोग करके ये दिखा रहा है कि कैसे फल खाने के बाद बेडरूम में पार्टनर को खुश किया जा सकता है।

एक वीडियो में पेटा ने कई तरह के फल लिए हैं और उन पर अपनी उंगली फेर रहे हैं। कैप्शन और पेटा के ढंग से साफ पता चला रहा है कि वो किस तरह लोगों का ध्यान खुद पर आकर्षित करना चाहते हैं। उंगली की मूवमेंट्स फलों पर इतनी घटिया तरह दिखाई गई है कि यूजर्स जवाब में ये लिखने लगे कि उन्हें बेकार सेक्स लाइफ ही चलेगी लेकिन वो इस तरह फल नहीं खा सकते।

दरअसल, पेटा इतना घटिया स्टंट करके लोगों को ये मनाने का प्रयास कर रहा है कि ये फल उन लोगों के लिए उपचार हैं जो कि अच्छा सेक्स जीवन नहीं अनुभव कर पा रहे। उनका मानना है कि ऐसे लोगों के लिए उपचार सिर्फ वीगन होना है। संस्था दावा कर रही है कि वीगन लोग अपनी सेक्स लाइफ को ज्यादा एंजॉय करते हैं जबकि नॉन-वीगन और खासकर मांसाहारी इतना आनंद नहीं ले पाते।

वीडियो में अजीबोगरीब दावे हैं। बिना सिर-पैर के कैप्शन हैं। उदाहरण देखिए- कैप्शन में लिखा है “बेडरूम में चीजों में तड़का लगाना चाहते हैं? चिली पेपर बिन समय लिए आपको हॉट और हेवी कर देगा। थोड़ा सा संतरे का जूस आपके जरूरी अंगों में खून का प्रवाह बढ़ाएगा। जिंक भरपूर लो ताकि यौनेच्छा बढ़े। एवोकडो आपको घंटों बिताने के लिए स्टैमिना देगा। आपका साथी आपको आभार देगा।”

इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। घटिया हथकंडा देखते हुए लोगों का कहना है कि पेटा अब गलती से ये न कह दे कि उनका अकॉउंट हैक हो गया है। सबसे घटिया बात यह है कि पेटा सिर्फ फलों पर अपनी क्रिएटिविटी नहीं दिखाने पर रुका। उन्होंने बकायदा ऐसी वीडियोज शेयर कर दीं जिनमें कपल्स को बेडरूम में दिखाया गया था। 

एक तरफ कुछ मीट खाने वालों के लिए ये बताया गया कि वो कुछ टाइम के लिए बिस्तर पर जोश में होते हैं और फिर हल्के पड़ जाते हैं जबकि वीगन व्यक्ति घंटों-घंटों अपने पार्टनर के साथ इन्वॉल्व रहते हैं और अलग अलग सेक्सुअल पोजिशन ट्राय करके अपने साथी को आनंद देते हैं। 

पेटा द्वारा साझा वीडियो वाला ट्वीट नीचे लगा रहे हैं। आप इसे अपने विवेक पर देखें:

बता दें कि पेटा की यह वीडियो गो वीगन अभियान का हिस्सा है। अपने हालिया आर्टिकल में पेटा ने वीगन होने के फायदे बताए थे। उन्होंने कहा था जानवरों के लिए शाकाहार अच्छा है, मीट हरा नहीं होता, शाकाहार सेहत के लिए अच्छा होता है।

शाकाहार से यौन जीवन को बढ़ावा देने के सभी दावे सिर्फ दावे हैं। हर साल सैकड़ों लेख और दावे यह कहते हैं कि बेहतर सेक्स लाइफ के लिए क्या अच्छा है और क्या नहीं। यौन शक्ति बढ़ाने वाले फलों के बारे में पेटा के दावों का कुछ आधार फलों के विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत होने के कारण हो सकता है। लेकिन अच्छे समग्र स्वास्थ्य के लिए, व्यक्तियों को संतुलित आहार की आवश्यकता होती है।

पेटा हर साल सैंकड़ों जानवरों को मारता है

लोगों को शाकाहार का ज्ञान देने वाला पेटा सबसे ज्यादा जानवरों को मारने के लिए उत्तरदायी पाया जाता है। द अटलांटिक में 2012 के एक लेख में बताया गया था कि कैसे कुत्तों के लिए पेटा की गोद लेने की दर सिर्फ 2.5% है। यह भी पाया गया कि उन्होंने बड़ी संख्या में बिल्लियों, कुत्तों और अन्य जानवरों को मार डाला, जिनका उन्होंने ‘रेस्क्यू’ करने का दावा किया था। इसके बाद साल दर साल ऐसे कई आर्टिकल आते रहे हैं जिन्होंने पेटा के चेहरे को उजागर किया और बताया कि कैसे जानवरों को आश्रय देने के नाम पर उन्हें मारा गया और अपने प्रमोशन के लिए लाखों खर्च होते रहे।

पेटा बनाम अमूल

बता दें कि पेटा भारत में भी अपने पाखंड के लिए जाना जाता है। वे हर हिंदू त्योहार को निशाना बनाते हैं और यहाँ की बहुसंख्यक आबादी को शर्मसार करने की कोशिश करते हैं। ये चाहते हैं कि लोग अपनी संस्कृति परंपरा भुला कर इनके निर्देशों का पालन करें

हाल ही में, पेटा ने भारत के सबसे बड़े डेयरी उत्पाद सहकारी अमूल को भी निशाना बनाना शुरू किया था, जो हजारों ग्रामीण महिलाओं को आजीविका प्रदान करता है। उन्होंने अमूल को ‘शाकाहारी दूध’ बेचने के लिए कहकर ज्ञान देने की कोशिश की थी। हालाँकि जब उनसे हिंदू समुदाय को निशाना बनाने पर और बूचड़खानों पर चुप्पी साधने को लेकर सवाल किया गया तो पेटा ने विचित्र दावा करते हुए कहा कि डेयरी उद्योग के कारण गोहत्या होती है।

मालूम हो कि पेटा भले ही जानवरों की देखभाल करने का दावा करता है लेकिन कभी यह समझाने की जहमत नहीं उठाता कि भारत में सैकड़ों गोशालाओं को गायों को आश्रय देने और उनकी रक्षा करने में मदद क्यों नहीं करता है, जिन्हें अक्सर पशु तस्करों के हाथों से बचाया जाता है जो उन्हें कत्ल के लिए ले जाते हैं। ये स्पष्ट है कि पेटा न केवल अत्यधिक महंगे ‘शाकाहारी’ उत्पादों का प्रचार कर रही है बल्कि लोगों को उनके खाने के विकल्पों पर शर्मिंदा भी कर रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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