Sunday, September 8, 2024
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करोड़पति घराना, MBA की डिग्री, सोलह श्रृंगार… सब त्यागकर ‘साध्वी’ बनीं MP की सलोनी भंडारी: हजारों लोगों के बीच ली जैन मुनि की दीक्षा, अंतिम बार भाई को राखी बाँधी

सलोनी भंडारी ज्वेलर विमल भंडारी और पूजा भंडारी की बेटी हैं। उन्होंने उज्जैन के एमआईटी कॉलेज से एमबीए की है। इसके बाद सलोनी ने करीब डेढ़ वर्ष तक इंदौर में जॉब की और फिर अपने पिता के कारोबार को भी सँभाला। रिपोर्ट्स बता रही कि जब उ

मध्य प्रदेश के उज्जैन में 25 साल की सलोनी भंडारी (Saloni Bhandari) सभी सुखों को त्यागकर साध्वी बन गई हैं। उन्होंने बुधवार (4 मई 2023) को दीक्षा ग्रहण की। अब सलोनी भंडारी जैन साध्वी हैं। उनका नाम साध्वी श्री मल्लि दर्शना श्रीजी मसा रखा गया है। दीक्षा ग्रहण समारोह में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए थे। अब सलोनी का उनके परिवार वालों से कोई रिश्ता नहीं रहेगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सलोनी भंडारी ज्वेलर विमल भंडारी और पूजा भंडारी की बेटी हैं। उन्होंने उज्जैन के एमआईटी कॉलेज से एमबीए की है। इसके बाद सलोनी ने करीब डेढ़ वर्ष तक इंदौर में जॉब की और फिर अपने पिता के कारोबार को भी सँभाला। जब उन्होंने अपने परिवार वालों को साध्वी बनने का फैसला सुनाया तो वे तुरंत इसके लिए मान गए।

दरअसल, जैन मुनि की दीक्षा लेना बहुत कठिन होता है। दीक्षा लेने के बाद संयमित जीवन जीना होता है, जिसमें भोग-विलास की जिंदगी नहीं होती है। साथ ही आजीवन पैदल ही चलना होता है। सलोनी ने इसी जीवन को अपनाया है। इसके लिए उज्जैन के अरविंद नगर स्थित मनोरमा-महाकाल परिसर में विरती मंडप सजाया गया। इसमें दीक्षा पूर्ण होने तक पाँच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

मंगलवार (3 मई 2023) सुबह 8:30 बजे खाराकुआ स्थित श्री हीर विजय सूरी बड़ा उपाश्रय मंदिर से वर्षीदान वरघोड़ा निकला, जिसमें सलोनी ने हाथी पर बैठकर सांसारिक वस्तुओं के त्याग स्वरूप विभिन्न सामग्री लुटाईं। बुधवार को मुख्य दीक्षा सम्पन्न हुई। हजारों लोगों के समक्ष करोड़पति पिता की बेटी ने सोलह श्रृंगार और वैभव त्याग कर साध्वी की दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा लेने के बाद वह सभी सांसारिक रीति-रिवाज से दूर हो गईं। सलोनी ने अंतिम बार अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधी। रिश्तेदारों और परिवार ने उनके बेहतर जीवन की कामना की। वहीं, सलोनी के दीक्षा समारोह में शामिल होकर जैन संतों ने उन्हें अपना आशीर्वाद दिया।

बता दें कि इस साल जनवरी में गुजरात के सूरत में 9 साल की देवांशी ने भी संन्यास ग्रहण किया था। हीरा कारोबारी संघवी मोहन भाई की पोती और धनेश-अमी बेन की बेटी ने जैनाचार्य कीर्तियशसूरीश्वर महाराज से दीक्षा प्राप्त की। देवांशी के संन्यास लेने से पहले दीक्षा महोत्सव के अवसर पर सूरत में वर्षीदान यात्रा निकाली गई थी। इसमें 4 हाथी, 11 ऊँट और 20 घोड़ों को शामिल किया गया था। देवांशी के दीक्षा ग्रहण करने कार्यक्रम में करीब 35 हजार लोग शामिल हुए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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