लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था उम्मीद से अधिक तेजी से रिकवर कर रही है। अब रेटिंग एजेंसियाँ भी भारत की जीडीपी ग्रोथ के लिए अपने अनुमान को बढ़ा रही हैं। मूडीज के बाद ग्लोबल रिसर्च फर्म और रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने भी वित्त वर्ष 2021 के लिए भारत की जीडीपी के अनुमान में सुधार किया है। गोल्डमैन सैक्स ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी के अनुमान को -10.3 कर दिया है।
गौर करने वाली बात यह है कि गोल्डमैन सैक्स सितंबर महीने में भारतीय अर्थव्यवस्था में -14.8 फीसदी गिरावट का अनुमान किया था, लेकिन अब इसमें 4.5 फीसदी के सुधार के संकेत दिए हैं। बड़ी बात यह है कि एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी में 13 फीसदी सुधार आने का अनुमान किया है।
एजेंसी के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी के संकेत दिखने लगे हैं। अक्टूबर माह में जहाँ परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स(PMI) ग्रोथ के मामले में 13 साल के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 58 अंक तक पहुँच गया है। वहीं, पिछले 6 महीने में पहली बार सितंबर में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन इंडेक्स (IIP) में 0.2 फीसदी के तेजी देखने को मिली है। मूडीज के बाद अब ग्लोबल रिसर्च फर्म और रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन सैक्स ने भी वित्त वर्ष 2021 के लिए भारत के जीडीपी पूर्वानुमान में सुधार किया है।
अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने प्रभावी वैक्सीन की घोषणा के चलते अनुमान में सुधार किया है, जो प्रभावी नीतियों और गतिशीलता प्रदान कर सकता है। हालाँकि, इससे पहले सितंबर में गोल्डमैन सैक्स ने कहा था कि अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 10.9 फीसदी का सुधार आएगा। रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से ग्रोथ करेगी, लेकिन पिछले वित्त वर्ष के मुकाबल वित्त वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में -10.3 की गिरावट देखने को मिलेगी।
हाल ही में 12 नवंबर को रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान आर्थिक गतिविधियों में आने वाली कमी के अनुमान को संशोधित किया है। मूडीज ने अब भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.9 फीसदी गिरावट आने का अनुमान जताया है, जबकि पहले उसने 9.6 फीसदी गिरावट आने का अनुमान लगाया था।
भारतीय रिजर्व बैंक के नए अध्ययन के अनुसार, यदि अर्थव्यवस्था में सुधार की वर्तमान गति बरकरार रही तो भारतीय अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर में ही गिरावट के दौर से बाहर आ जाएगी और फिर विकास दर बढ़ने लगेगी।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि मार्च से अक्टूबर 2020 तक सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दी गई विभिन्न राहतों से तेजी से गिरती हुई अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला है। साथ ही सरकार की ओर से जून 2020 के बाद अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोलने की रणनीति के साथ राजकोषीय और नीतिगत कदमों का अर्थव्यवस्था पर अनुकूल असर पड़ा है। यद्यपि अभी देश महामारी से उबरा नहीं है, लेकिन अर्थव्यवस्था ने तेजी हासिल करने की क्षमता दिखाई है।