अब देश भर में देसी गायों की नस्ल को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी पहल हुई है। देसी नस्ल की गाय आदि के वध पर प्रतिबंध लगाने की माँग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए उनसे पूछा है कि इस दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे हैं। साथ ही मथला चंद्रपति राव द्वारा दायर जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी राज्यों को गैरकानूनी तरीके से चल रहे बूचड़खानों को बंद करने और उच्चतम न्यायालय के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट दायर करने के लिए भी निर्देश देने की माँग की है।
अब देसी गाय की नस्ल के बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट आगे आया. सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया जिसमें देसी नस्ल की गाय आदि के वध पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है.#ReporterDiary #Vertical @mewatisanjoo
— आज तक (@aajtak) July 22, 2019
अन्य वीडियो: https://t.co/mf6keLW7vJ pic.twitter.com/oyCcLJ7v7G
याचिकाकर्ता ने देश भर में देसी नस्लों के गायों और दुधारू पशुओं के नस्लों को बचाने के लिए कोर्ट से एक व्यवस्था देने की अपील की है। राष्ट्रीय दुधारू पशु आयोग के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व जस्टिस गुमान लाल लोढ़ा द्वारा भारत सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस रिपोर्ट में दुधारू गायों और बछड़ों के वध पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। याचिकाकर्ता ने देसी गाय की नस्लों के संवर्धन के लिए, उन्हें बचाने के लिए और इस दिशा में शोध कार्य को आगे बढ़ाने की सिफारिश की है।
फिलहाल इस मामले पर चार हफ्ते बाद सुनवाई होगी और तभी पता चलेगा कि केंद्र और राज्य सरकार ने इस दिशा में क्या कदम उठाए हैं, क्योंकि जिस तरह से विदेशों में भी शोध हुआ है, उसमें बताया गया है कि देसी गायों की नस्ल के अंदर, उनके गोबर और मूत्र में अद्भुत गुण मौजूद हैं। ये गुण इतने लाभदायक हैं कि अगर इनका संवर्धन किया जाए तो नई पीढ़ी के लिए, विज्ञान के लिए और स्वास्थ्य के लिए बहुत सारे संभावनाओं के दरवाजे खुलेंगे, लेकिन इसमें शोध की आवश्यकता है।