सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सोमवार (फरवरी 17, 2020) को मुहर लगा दी। साथ ही कोर्ट ने इसके लिए समय भी निश्चित कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि तीन माह के भीतर महिलाओं के लिए सेना में स्थायी कमीशन का गठन किया जाए। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बाद महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देना चाहिए था। महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं कर सकते।
Permanent Commission for Women Officers in #IndianArmy: #SupremeCourt criticises the Centre for not implementing the judgment of the Delhi High Court which had held that women SSC officers should be granted permanent Commission at par with male counterparts. pic.twitter.com/X0gqdrLsEn
— Bar & Bench (@barandbench) February 17, 2020
बता दें कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के मार्च 2010 के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें सेना को सभी महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया गया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में आने वाली महिलाओं को सेवा में 14 साल पूरे करने पर पुरुषों की तरह स्थायी कमीशन दिया जाए। रक्षा मंत्रालय ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
We dispose off the petitions and necessary compliance of this court’s order within a period of 3 months, says Justice Chandrachud. https://t.co/dQYt7hwhhe
— ANI (@ANI) February 17, 2020
इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सामाजिक और मानसिक कारण बताकर महिला अधिकारियों के इस अवसर से वंचित करना न सिर्फ भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह अस्वीकार्य भी है। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, “महिलाओं को लेकर मानसिकता बदलनी चाहिए और सेना में सच्ची समानता लानी होगी। पुरुषों के साथ महिलाएँ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं।”
Centre’s appeal challenging the Delhi High Court’s ruling in 2010, for granting permanent commission to women officers in Army: Supreme Court says that after the judgment of Delhi High Court, Centre should grant permanent commission to women officers. pic.twitter.com/I9rK26I7ox
— ANI (@ANI) February 17, 2020
केंद्र का तर्क था कि सेना में ‘कमांड पोस्ट’ की जिम्मेवारी महिलाओं को नहीं दी जा सकती, क्योंकि उनकी शारीरिक क्षमता इसके लायक नहीं और उनपर घरेलू जिम्मेदारियाँ भी होती हैं। इन कारणों के साथ केंद्र ने कहा था कि इस पद की चुनौतियों का सामना महिलाएँ नहीं कर सकेंगी। इस पर कोर्ट ने कहा कि कमांड पोस्ट पर महिलाओं को आने से रोकना समानता के विरुद्ध है।
Centre’s appeal challenging the Delhi High Court’s ruling in 2010, for granting permanent commission to women officers in Army: Supreme Court says that the permanent commission will apply to all women officers in the Army in service, irrespective of their years of service. pic.twitter.com/7YcFADXqIc
— ANI (@ANI) February 17, 2020
Supreme Court says, the permanent commission will apply to all women officers in the Army in service, irrespective of their years of service. Indian Army’s Lt. Colonel Seema Singh says, “This is a progressive and historical judgement. Women should be given equal opportunities “. pic.twitter.com/bPnbLkHrD6
— ANI (@ANI) February 17, 2020
कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कैप्टन तान्या शेरगिल, कैप्टन मधुमिता और अन्य महिला सैन्य अधिकारियों का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि महिला अधिकारी भी स्थायी कमीशन की अधिकारी हैं। महिला सेना अधिकारियों ने देश का गौरव बढ़ाया है। भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट कर्नल सीमा सिंह ने खुशी जताते हुए कहा, “यह एक प्रगतिशील और ऐतिहासिक फैसला है। महिलाओं को समान अवसर दिए जाने चाहिए।”