दुबई के इस्लामिक मामलों के प्राधिकरण ने संयुक्त अरब अमीरात को इस्लामिक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह निर्देश देश के पहले अंतरिक्ष यात्री हज़्ज़ा अल मंसूरी के अंतरिक्ष में नमाज़ पढ़ने को लेकर जारी किए गए हैं।
We are proud that Hazza Al Mansouri will soon become the first Emirati to go to space.
— Emirates Islamic (@emiratesislamic) September 17, 2019
Can you name the country from where he will go to space? pic.twitter.com/lhA27pKTCT
इस्लाम की प्रथाओं के अनुसार नमाज़ दिन के समय के हिसाब से पढ़नी होती है, जबकि अंतरिक्ष में हज़्ज़ा को 16-16 सूर्योदय और सूर्यास्त एक दिन में दिखने थे। ऐसे में प्राधिकरण ने हज़्ज़ा को इस्लाम के समर्थकों की पवित्रतम जगह मक्का के सूर्योदय-सूर्यास्त के समय नमाज़ पढ़ने की सलाह दी है। इसके अलावा नमाजियों को मक्का की तरफ़ मुँह करके नमाज़ पढ़ने के लिए कहा जाता है, जबकि अंतरिक्ष यात्री शून्य गुरुत्वाकर्षण में तेज़ी से धरती के चक्कर लगा रहे होते हैं। इसके समाधान में हज़्ज़ा को धरती की ओर चेहरा कर नमाज़ पढ़ने को कहा गया है।
‘रेत के दाने या पत्थर से करना पाक’
नमाज़ पढ़ने के पहले खुद को स्वच्छ करना होता है। गाइडलाइंस के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (ISS) में पानी की कमी होने पर इसके लिए रेत के दाने या पत्थर का इस्तेमाल किया जा सकता है। अल मंसूरी रूसी कॉस्मोनॉट ओलेग स्क्रिपोचका और अमेरिकी अंतरिक्षयात्री जेसिका मायर के साथ बुधवार (25 सितंबर) को ISS के लिए रवाना होंगे। NASA के अनुसार अल मंसूरी 3 अक्टूबर को लौट आएँगे, जबकि बाकी दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी अगले वर्ष होगी।
This is how #UAE astronaut Hazza Al Mansouri will depart Earth this week from the Baikonur Cosmodrome, a spaceport in southern Kazakhstan. pic.twitter.com/0SDv2cGSi9
— The National (@TheNationalUAE) September 22, 2019