23 मार्च 2023 को काॅन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) को सूरत की एक अदालत ने दो साल की सजा सुनाई। उन्हें अदालत ने आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी पाया है। मामला एक चुनावी रैली में ‘सभी चोरों के नामों में मोदी क्यों लगा होता है’ वाले बयान से जुड़ा है। सजा सुनाए जाने के बाद अदालत ने काॅन्ग्रेस नेता को तत्काल बेल देते हुए ऊपरी अदालत में अपील के लिए 30 दिनों का वक्त दिया है।
जैसा कि हम जानते हैं कि काॅन्ग्रेसी बगुला की तरह उन मौकों की ताक में बैठे रहते हैं, जब वे शीर्ष परिवार के सामने खुद को सबसे बड़ा ‘वफादार’ साबित कर सके। अब अदालत के फैसले ने काॅन्ग्रेसियों को वही मौका प्रदान किया है। खुद को ‘सर्वश्रेष्ठ वफादार’ साबित करने की लगी होड़ में पूर्व काॅन्ग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रेणुका चौधरी ने खुद को शामिल करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मानहानि का केस करने की बात कही है।
रेणुका चौधरी ने एक वीडियो क्लिप शेयर करते हुए ट्वीट किया है, “इस क्लासलेस अहंकारी ने मुझे राज्यसभा में शूर्पणखा (Shurpanakha) कहा था। मैं उसके खिलाफ मानहानि का केस करूँगी। अब देखेंगे कि अदालतें कितनी तेजी से एक्शन लेंगी।” काॅन्ग्रेस की पूर्व सांसद ने पीएम मोदी का जो वीडियो शेयर किया है वह 7 फरवरी 2018 का है। प्रधानमंत्री सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण प्रस्ताव पर बोल रहे थे।
This classless megalonaniac referred to me as Surpanakha on the floor of the house.
— Renuka Chowdhury (@RenukaCCongress) March 23, 2023
I will file a defamation case against him. Let’s see how fast courts will act now.. pic.twitter.com/6T0hLdS4YW
खैर अब इस राजनीतिक कथा को यहीं विराम देते हैं। जानते हैं कि जिस शूर्पणखा को रेणुका चौधरी चर्चा में लेकर आईं हैं, वह कौन थी? यदि आपने रामचरितमानस पढ़ी होगी तो अरण्य कांड में शूर्पणखा का चरित्र चित्रण भी पढ़ा ही होगा। यदि रामचरितमानस नहीं पढ़ा है तो भी घबराने की जरूरत नहीं है। नीचे हम तुलसीदास रचित कुछ दोहे और उनका अर्थ बता रहे हैं ताकि आप शूर्पणखा को ठीक से जान बूझ लें।
सूपनखा रावन कै बहिनी। दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी॥
पंचबटी सो गइ एक बारा। देखि बिकल भइ जुगल कुमारा॥
हिंदी में बोले तो शूर्पणखा रावण की बहन थी। नागिन के समान भयानक और दुष्ट हृदय की थी। मतलब जहरीली थी। वह एक बार पंचवटी (भगवान श्री राम, माता जानकी और लक्ष्मण का निवास स्थान) में गई। राम और लक्ष्मण को देखकर विकल (मतलब सेक्स को आतुर) हो गई।
भ्राता पिता पुत्र उरगारी। पुरुष मनोहर निरखत नारी॥
होइ बिकल सक मनहि न रोकी। जिमि रबिमनि द्रव रबिहि बिलोकी॥
काकभुशुण्डिजी कहते हैं- हे गरुड़जी! जो स्त्री (शूर्पणखा- जैसी राक्षसी, जो कामांध है, जिसे धर्म का ज्ञान नहीं है) मनोहर पुरुष को देखकर, चाहे वह भाई, पिता, पुत्र ही हो, विकल हो जाती है। मन पर काबू नहीं रहता। जैसे सूर्यकान्तमणि सूर्य की ज्वाला से पिघल जाती है।
रुचिर रूप धरि प्रभु पहिं जाई। बोली बचन बहुत मुसुकाई॥
तुम्ह सम पुरुष न मो सम नारी। यह सँजोग बिधि रचा बिचारी॥
शूर्पणखा सुन्दर रूप धरकर प्रभु के पास जाती है। बहुत मुस्कुराकर कहती है- न तो तुम्हारे समान कोई पुरुष है, न मेरे समान स्त्री। विधाता ने यह संयोग (जोड़ा) बहुत विचार कर रचा है।
मम अनुरूप पुरुष जग माहीं। देखेउँ खोजि लोक तिहु नाहीं॥
तातें अब लगि रहिउँ कुमारी। मनु माना कछु तुम्हहि निहारी॥
मेरे योग्य पुरुष दुनिया में नहीं है। मैंने तीनों लोकों में खोजकर देखा है। यही कारण है कि अभी तक मैंने शादी नहीं की है। अब तुमको देखकर मेरा मन अटक गया है।
अगले कुछ दोहों में श्री राम द्वारा शूर्पणखा का अनुरोध ठुकराने, फिर प्रस्ताव लेकर उसके लक्ष्मण के पास जाने, वहाँ भी दुत्कार मिलने की कथा है। दुत्कारे जाने के बाद शूर्पणखा अपने असली रूप में आ जाती है। रामचरितमानस में कहा गया है;
तब खिसिआनि राम पहिं गई। रूप भयंकर प्रगटत भई॥
सीतहि सभय देखि रघुराई। कहा अनुज सन सयन बुझाई॥
गुस्से में शूर्पणखा श्री रामजी के पास जाती है। अपना भयंकर रूप दिखाती है। उसे देख सीताजी भयभीत होती जातीं हैं। फिर लक्ष्मण को श्री राम जी इशारा करते हैं।
लछिमन अति लाघवँ सो नाक कान बिनु कीन्हि।
ताके कर रावन कहँ मनौ चुनौती दीन्हि॥
इशारा पाते ही लक्ष्मण जी बड़ी फुर्ती से शूर्पणखा को बिना नाक-कान का कर देते हैं…
नोट: दोहों को बोलचाल की हिंदी में समझाने के लिए रामचरितमानस से हूबहू व्याख्या नहीं ली गई है।