सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी विप्रो लिमिटेड (Wipro Limited) ने अपने 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। कंपनी ने दावा किया है कि ये तमाम कर्मचारी विप्रो की प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के लिए चोरी छुपे काम किया करते थे। बता दें कि पिछले कुछ समय में ‘मूनलाइटिंग (moonlighting)’ के खिलाफ ये किसी कंपनी की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बुधवार (21 सितंबर 2022) को अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए) के राष्ट्रीय सम्मेलन में विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी (Rishad Premji) ने इस मामले पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि विप्रो कंपनी के पास ऐसे किसी भी कर्मचारी के लिए कोई जगह नहीं है, जो विप्रो से सैलरी लेते हुए प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के साथ भी काम करते रहते हैं।
विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने कहा:
“कर्मचारी अपने दूसरे या सप्ताहांत के काम के बारे में संगठन के साथ पारदर्शी ढंग से बातचीत कर सकते हैं। हमने लेकिन 300 ऐसे कर्मचारियों की खोज की, जो प्रत्यक्ष प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के लिए काम कर रहे थे।”
बता दें कि यदि कोई कर्मचारी एक समय में एक से अधिक कंपनी में कार्य करता है तो उसे ‘मूनलाइटिंग’ कहा जाता है।
क्या है मूनलाइटिंग?
मूनलाइटिंग (moonlighting) यानी एक समय में एक से अधिक कंपनी के लिए काम करना। वर्क फ्रॉम होम के कारण (जो कोविड के दिनों के बाद से इंटरनेट आधारित कंपनियों के लिए सुचारू ढंग से काम चलाते रहने का एक आदर्श सा बन गया) बहुत सारे कर्मचारी मूनलाइटिंग के पक्ष में रहते हैं। कंपनी से मिलने वाली सैलरी के अलावे वो एक्स्ट्रा काम करके कुछ अधिक कमाने की सोच रखते हैं।
विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी (Rishad Premji) ने हाल ही में इसको लेकर एक ट्वीट भी किया। ‘मूनलाइटिंग’ की तुलना उन्होंने धोखाधड़ी से की। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “तकनीक उद्योग में मूनलाइटिंग करने वाले लोगों के बारे में बहुत सारी बकवास है। सादा और सरल भाषा में यह धोखा है।”
ऋषद प्रेमजी से उलट टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी ने ‘मूनलाइटिंग (moonlighting)’ का समर्थन किया और लिखा, “समय के साथ बदलते रहने के लिए मूनलाइटिंग जरूरी है।” विप्रो के चेयरमैन ने यह भी बताया कि मूनलाइटिंग को धोखाधड़ी का नाम देने के बाद उन्हें बहुत सारे हेट मेल भी प्राप्त हुए हैं, लेकिन इसके बाद भी वे अपनी बात पर अडिग हैं।