वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बाद अब भारतीय कंपनियों ने भी कर्मचारियों को निकालना (Layoff 2023) शुरू कर दिया है। हालाँकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मंदी आती भी है तो इसका भारत का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कर्मचारियों की छँटनी ट्विटर से शुरू होकर माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेजॉन होते हुए भारत की विप्रो (Wipro) तक पहुँच गई है। विप्रो ने लगभग 800 कर्मचारियों को निकालने निर्णय लिया है। हालाँकि, मीडिया रिपोर्ट के बाद विप्रो ने कहा कि वह 452 कर्मचारियों की छंटनी करेगी।
छंटनी के पीछे दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी ने तर्क दिया कि जिन लोगों को निकाला गया, वे फ्रेशर थे और उनका परफॉर्मेंस खराब था। कंपनी ने कहा, “हमें 452 फ्रेशर्स को बाहर करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने ट्रेनिंग के बाद भी असेसमेंट में बार-बार खराब प्रदर्शन किया।”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विप्रो ने कर्मचारियों को भेजे गए टर्मिनेशन लेटर में कहा है कि ये कर्मचारी 75,000 रुपए का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं, क्योंकि ये रुपए उनके प्रशिक्षण पर खर्च किया है। हालाँकि, विप्रो ने उसी मेल में लिखा है कि कंपनी ने राशि माफ कर दी है।
विप्रो के अलावा, जिन भारतीय कंपनियों ने छँटनी की घोषणा की है, उनमें HP, स्विगी और शेयर चैट शामिल हैं। सॉफ्टवेयर कंपनी HP ने अपने 6,000 कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया है। वहीं, HCL Technolog ने वैश्विक स्तर पर छँटनी की घोषणा करते हुए 350 कर्मचारियों को निकाल दिया है।
फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी (Swiggy) ने लगभग 400 कर्मचारियों को निकालने की घोषणा की है। कहा जा रहा है कि वर्कफोर्स में लगभग 10 प्रतिशत कमी करते हुए कुल 6,000 लोगों को निकालेगी। पिछले साल नवंबर में फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो (Zomato) ने 120 कर्मचारियों को हटा दिया था। इससे पहले मई 2022 में 520 कर्मचारियों को हटाया था।
वहीं, Cars24 कंपनी ने भी 600 कर्मचारियों को निकाल दिया है। इस कंपनी ने पिछले साल भी 650 कर्मचारियों को निकाला था। Edtech की शीर्ष कंपनी बायजू (Byju) ने 1,100 कंपनियों को निकाल दिया है। इसके अलावा Unacademy, Vedantu, Lido, Frontrow, Lido जैसी स्टार्टप एडुटेक कंपनियाँ भी हजारों कर्मचारियों को निकाल चुकी हैं।
ऑनलाइन सामान डिलीवरी करने वाली कंपनी डंजो (Dunzo) ने भी अपने वर्कफोर्स में 3 प्रतिशत कटौती करने की घोषणा की है। इस हिसाब से लगभग 100 कंपनियों को निकाला जाएगा। डंजो कंपनी को गूगल का सपोर्ट मिला है। वहीं, वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म शेयरचैट (Sharchat) ने 20 प्रतिशत यानी लगभग 450 कर्मचारियों की छँटनी की है।
छँटनी करने वाली विदेशी कंपनियाँ
इसी तरह गूगल (Google) की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट (Alphabet) ने विश्व स्तर पर 12,000 कर्मचारियों को निकालने की घोषणा की है। ये कंपनी की वर्कफोर्स का 6 प्रतिशत है। गूगल ने छंटनी के शिकार कर्मचारियों को 16 हफ्ते की सैलरी और 2 हफ्ते का मुआवजा देने की घोषणा की है। इसके साथ ही इन लोगों को नौकरी खोजने में भी मदद का भरोसा दिया है।
गूगल के अलावा, दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने भी 10,000 कर्मचारियों की छँटनी की घोषणा की है। यह कंपनी के कुल कर्मचारियों का करीब 5 प्रतिशत है। माइक्रोसॉफ्ट में दुनिया भर में 2.20 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। छंटनी के पीछे कंपनी कठिन आर्थिक हालात बताए थे।
इसके पहले फेसबुक (facebook) की पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) ने अपने कुल कर्मचारियों का 13 प्रतिशत हटाने की घोषणा की थी। इस हिसाब से 11,000 कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया था। उन्होंने कहा था कि बड़ी टेक कंपनियों को प्रॉफिट कमाना मुश्किल हो रहा है। इसलिए मजबूर होकर ऐसा निर्णय लेना पड़ रहा है।
अमेजन (Amazon) ने अपने 6 प्रतिशत यानी 18,000 कर्मचारियों को बाहर कर दिया है। जिन कर्मचारियों को निकाला गया, उनमें 1,000 भारतीय थे। इसके पहले ट्विटर (Twitter) ने नवंबर 2022 में 3,800 कर्मचारियों को हटाने का ऐलान किया था। इसके साथ ही 4,500 कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों का भी अनुबंध खत्म कर दिया था।
वहीं, सेल्सफोर्स (Salesforce) नामक कंपनी ने अपने कुल वर्कफोर्स का 10 प्रतिशत यानी 800 कर्मचारियों को हटा दिया है। सॉफ्टवेयर कंपनी एचपी HP ने 10 प्रतिशत कर्मचारयों की संख्या में कटौती करते हुए 600 लोगों को हटा दिया। वहीं, सीगेट (Seagate) ने लगभग 250 कर्मचारियों को हटा दिया है। यह कंपनी के कुल वर्कफोर्स का लगभग 8 प्रतिशत है।
एक और मीडिया कंपनी स्नैपचैट (Snapchat) ने भी अपने 6,400 को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। वहीं, चीन की बहुराष्ट्रीय कंपनी अलीबाबा (Alibaba) ने पिछे साल 2022 में अपने 9,241 से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।