कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में अब गायों का भी योगदान होगा। इस पर रिसर्च चल रहा है। अमेरिका में स्थित साउथ डकोटा के गायों का अधययन किया जा रहा है कि वो किस तरह कोरोना के ख़िलाफ़ दवा या वैक्सीन बनाने में मददगार हो सकती हैं। एक बायोटेक कम्पनी ने कुछ जेनेटिकली मॉडिफाइड गायों द्वारा ऐसे एंटीबॉडी का उत्पादन किए जाने की बात कही है, जो SARS-CoV-2 का तगड़ा प्रतिरोधक हो सकता है।
बता दें कि यही वो रोगजनक है, जो कोरोना वायरस संक्रमण का कारण है। कम्पनी ने योजना बनाई है कि कुछ ही दिनों में इसका क्लिनिकल उपयोग शुरू किया जाएगा। ‘जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी’ के संक्रामक रोग फिजिशियन अमेश अदलजा ने कहा कि इस दिशा में चीजें आशावान दिख रही हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के ख़िलाफ़ जितने भी काउंटर मेजर्स हमारे पास हो सकते हैं, उनकी व्यवस्था की जानी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय ‘साइंस’ मैगजीन के अनुसार, SAb Biotherapeutics ने दावा किया है कि गाय के शरीर में बनी हुई एंटीबॉडी से कोरोना संक्रमितों का इलाज संभव है। कोरोना के इलाज के लिए एंटी प्लाज्मा थेरेपी जैसे इलाजों का सहारा लिया जा रहा है। गाय की एंटीबॉडी से कोरोना के इलाज पर रिसर्च की ख़बर ने एक उम्मीद पैदा की है। हालाँकि, इस प्रक्रिया के लिए गाय के शरीर में कुछ अनुवांशिक बदलाव किया जाता है। एंटीबॉडी तैयार होने में क़रीब एक महीने का समय लग जाता है।
लेकिन, कम्पनी ने ये भी कहा है कि एक गाय द्वारा दिए गए एंटीबॉडी से सैकड़ों कोरोना के मरीजों का इलाज संभव है। अभी जो प्लाज्मा थेरेपी की तकनीक आजमाई जा रही है, उससे इसके चार गुना ज्यादा प्रभावशाली होने की बात कही जा रही है। कम्पनी के अध्यक्ष और सीईओ एडी सुलियन ने गाय के शरीर को एक कारखाने के सामान बताया है। गायों के शरीर में अन्य छोटे प्राणियों के मुकाबले कहीं अधिक ख़ून होता है।
गायों के ख़ून की एक और ख़सियत ये है कि उसमें मनुष्यों के मुकाबले दोगुनी मात्रा में एंटीबॉडी होती है। इसके अलावा गाय विभिन्न प्रकार की पॉलीक्लोनल एंटीबॉडी विकसित करती है, जिसका उपयोग वायरस के विभिन्न भागों पर हमले के लिए किया जाता है। ये एक ‘रेंज ऑफ मॉलिक्यूल्स’ होता है जो वायरस के कई भागों पर हमला बोलता है। कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती दौर में ही कम्पनी ने इसका क्लिनिकल ट्रायल संपन्न कर लिया था।
A special antibody in cows could help put an end to HIV: https://t.co/JLcDgfo7WO pic.twitter.com/j4hcjYVc4o
— The Daily Dot (@dailydot) July 22, 2017
इसके लिए सबसे पहले गाय को ‘स्टार्टर इम्यूनाइजेशन’ देना पड़ता है। इसका अर्थ है कि उनके खून में वायरस इंजेक्ट करना पड़ता है। ये डीएनए वैक्सीन के माध्यम से किया जाता है, जो उस वायरस के जीनोम को कैरी करता हो। इसके बाद गाय के खून में इसका एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाता है। इसके बाद वायरस के स्पाइक प्रोटीन का हिस्सा डाला जाता है, जो इसके Passkey की तरह काम करता है। अब देखना ये है कि स्वस्थ लोगों के भीतर जब इस एंटीबॉडी को डाला जाएगा तो वे क्या कोरोना से इम्यून हो जाएँगे?
‘वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन’ के संक्रामक रोग विशेषज्ञ जेफरी हेंडरसन ने गायों द्वारा उत्पादित की जाने वाली एंटीबॉडी को ‘लॉजिकल नेक्स्ट स्टेप’ करार दिया है। उन्होंने बताया कि ये पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिक है और 100 साल से भी पहले हुए अनुभवों पर आधारित है। गाय द्वारा दी गई एंटीबॉडी को बाकी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से ज्यादा शक्तिशाली भी माना जा रहा है क्योंकि ये वायरस को पूरी तरह तहस-नहस करने में सक्षम है।