व्हाट्सएप (WhatsApp) के पूर्व चीफ बिजनेस ऑफिसर (CBO) नीरज अरोड़ा का कहना है कि उन्हें कंपनी को 22 अरब डॉलर में फेसबुक (Facebook) को बेचने पर पछतावा हो रहा है। उन्होंने ट्वीट की एक सीरीज में बताया कि कैसे व्हाट्सएप उस दिशा से भटक गया है, जिस दिशा में उसके संस्थापकों ने मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) के नेतृत्व वाले समूह द्वारा अधिग्रहण के बाद सेवा की कल्पना की थी। बता दें कि व्हाट्सएप और फेसबुक के बीच डील करवाने में नीरज अरोड़ा की अहम भूमिका थी।
In 2014, I was the Chief Business Officer of WhatsApp.
— neeraj arora (@neerajarora) May 4, 2022
And I helped negotiate the $22 billion sale to Facebook.
Today, I regret it.
Here’s where things went wrong:
अरोड़ा के अनुसार, व्हाट्सएप की संस्थापक टीम ने अधिग्रहण के समय सर्विस को लेकर फेसबुक के सामने तीन प्रमुख माँगें रखी थीं। ये माँगें थीं- किसी यूजर का डेटा नहीं इकट्ठा किया जाएगा, कभी कोई विज्ञापन नहीं दिखाया जाएगा, क्रॉस-प्लेटफॉर्म ट्रैकिंग नहीं होगी। फेसबुक और उसका मैनेजमेंट इन शर्तों पर तैयार हो गया और उन्हें लगा कि वह उनके मिशन में भरोसा करते हैं, मगर ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। 2014 में फेसबुक ने 22 अरब डॉलर (कैश और स्टॉक) में वाट्सऐप का अधिग्रहण किया, लेकिन 2017-2018 तक चीजें काफी अलग दिखने लगीं। अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने वाट्सऐप को जिस लक्ष्य के साथ तैयार किया था, अब यह उसकी छाया भर रह गया है।
As we began talking through the acquisition, and made our stance very clear:
— neeraj arora (@neerajarora) May 4, 2022
– No mining user data
– No ads (ever)
– No cross-platform tracking
FB and their management agreed and we thought they believed in our mission.
वह बताते हैं कि फेसबुक ने एक बार नहीं बल्कि दो बार व्हाट्सएप से अधिग्रहण के लिए संपर्क किया। पहली बार जुकरबर्ग ने 2013-2014 में व्हाट्सएप के सामने यह प्रस्ताव रखा था, मगर उस समय व्हाटेसएप ने इसे ठुकरा दिया था। हालाँकि फेसबुक ने दोबारा 2014 में संपर्क किया और ऑफर दिया। अरोड़ा का कहना है कि फेसबुक का यह ऑफर व्हाट्सएप की टीम को पार्टनरशिप जैसा लगा। इसमें एंड-टू-एंड इनक्रिप्शन को पूरा सपोर्ट, कभी भी कोई विज्ञापन नहीं, प्रोडक्ट के फैसले पर पूर्ण स्वतंत्रता, जैम कुम के लिए बोर्ड में जगह और माउंटेन व्यू में खुद के ऑफिस जैसी बातें कही गई थीं।
FB approached us again early 2014 with an offer that made it look like a partnership:
— neeraj arora (@neerajarora) May 4, 2022
• Full support for end-to-end encryption
• No ads (ever)
• Complete independence on product decisions
• Board seat for Jan Koum
• Our own office in Mountain View
• Etc.
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, अगर आपने व्हाट्सएप को पुराने वक्त में भी इस्तेमाल किया है तो आपको याद होगा कि इसे क्या स्पेशल बनाता था। अंतरराष्ट्रीय कम्युनिकेशन। मेरे जैसे लोगों के लिए, जिनके परिवार अलग-अलग देशों में हैं, व्हाट्सएप उनसे जुड़े रहने का एक शानदार तरीका था। वहीं उन्हें लंबी दूरी के लिए SMS और कॉलिंग फीस भी नहीं देनी पड़ती थी। व्हाट्सएप ने ऐप डाउनलोड करने के लिए सिर्फ 1 डॉलर लेकर कमाई की और फेसबुक ने कहा कि उसने हमारे मिशन और विजन को सपोर्ट किया है। ब्रायन ने तो एक फेमस नोट भी लिखा।
How WhatsApp made money was by charging users $1 to download the app.
— neeraj arora (@neerajarora) May 4, 2022
And Facebook (said they) supported our mission & vision.
Brian even wrote this famous note: pic.twitter.com/A6ufhkMIuX
उन्होंने कहा कि 2018 आते-आते फेसबुक/कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल सामने आया। ब्रायन एक्टन ने एक ट्वीट किया, जिसने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया। ब्रायन एक्टन ने लिखा था- It is time #deletefacebook. यानी ये फेसबुक को डिलीट करने का वक्त है।
Until eventually, in 2018, right as details of the Facebook/Cambridge Analytica scandal came out, Brian Acton sent a tweet that sent shockwaves through the social media stratosphere.https://t.co/8jRJUrdB7j
— neeraj arora (@neerajarora) May 4, 2022
नीरज ने लिखा, “आज व्हाट्सएप फेसबुक का दूसरा सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है, यहाँ तक कि इंस्टाग्राम और फेसबुक मैसेंजर से भी बड़ा है। लेकिन अब यह उस प्रोडक्ट की महज परछाई जैसा रह गया है, जिसके लिए हमने अपनी जान लगा दी थी और चाहते थे कि इसे दुनिया के लिए बनाया जाए। मैं अकेला नहीं हूँ, जो फेसबुक का हिस्सा बन जाने के लिए पछता रहा हूँ। टेक कंपनियों को यह स्वीकार करने की जरूरत है कि कब उन्होंने कुछ गलत किया। शुरुआत में किसी को पता नहीं था कि फेसबुक एक राक्षस बन जाएगा, जो यूजर्स का डेटा खाएगा और पैसे (Dirty Money) उगलेगा। हमें भी इस बात का अंदाजा नहीं था।”
Tech companies need to admit when they have done wrong.
— neeraj arora (@neerajarora) May 4, 2022
Nobody knew in the beginning that Facebook would become a Frankenstein monster that devoured user data and spat out dirty money.
We didn’t either.
उन्होंने आगे कहा कि टेक ईकोसिस्टम के इवॉल्व होने के लिए इसको लेकर बात करने की जरूरत है कि कैसे खराब बिजनस मॉडल अच्छे-अच्छे प्रोडक्ट, सर्विस और आइडिया को गलत बना देते हैं। अरोड़ा ने ट्विटर थ्रेड को हलो ऐप (HalloApp) को लेकर द वॉलस्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट का लिंक शेयर करते हुए समाप्त किया। अरोड़ा ने माइकल डोनोह्यू के साथ मिलकर पिछले साल हलो ऐप लॉन्च किया। माइकल डोनोह्यू 2019 तक व्हाट्सएप के इंजीनियरिंग निदेशक थे।