चंद्रयान, मंगलयान, ‘मिशन शक्ति’, PSLV-C37 से 104 उपग्रह एक बार में ले जाने जैसी सफलताओं बाद भारत ने अंतरिक्ष में अपने दम पर अंतरिक्षयात्री भेजने के लिए कमर कस ली है। साल 2022 में स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर इस मिशन को लॉन्च करने की तैयारी है। बेंगलुरु स्थित भारतीय वायुसेना के एयरोस्पेस आयुर्विज्ञान संस्थान (IAM) ने दो या तीन सदस्यीय अभियान दल के चयन को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।
उपरोक्त जानकारी सशस्त्र सेना चिकित्सकीय सेवाओं के महानिदेशक (DG-AFMS) लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन पुरी ने दी। लेफ्टिनेंट जनरल पुरी सेना के कृत्रिम अंग केंद्र के 70 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में उपस्थित थे, और यह बातें उन्होंने समारोह से इतर टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए बताईं। इससे पहले रूसी मिशन के साथ अंतरिक्ष में जाने वाले प्रथम भारतीय स्क्वाड्रन लीडर (तत्कालीन) राकेश शर्मा भी उस समय (1982) में वायुसेना के अधिकारी थे।
IAM और इसरो में हो चुकीं हैं कई बैठकें
अंतरिक्षयात्रियों के चयन को लेकर IAM और इसरो के बीच पिछले कुछ महीनों में कई बैठकें हो चुकीं हैं। बैठकें मुख्यतः अंतरिक्षयात्रियों के चयन में मेडिकल पैमानों के पहलुओं पर स्पष्टता को लेकर हुई हैं। सरकार ने IAM को मिशन में शामिल करने का निर्णय अभियान के लिए उपयुक्त अभ्यर्थियों के चयन के लिए लिया है क्योंकि इसके पास उड़ान और एयरोस्पेस चिकित्सा/शरीरविज्ञान दोनों ही विषयों पर पर्याप्त जानकारी और अनुभव है।
IAM संस्थान के पास विशेषज्ञ शिक्षकीय संकाय भी है, जो एयरोस्पेस मेडिसिन के विभिन्न उपविभागों में सिद्धहस्त हैं। कई अंतरराष्ट्रीय एयरोस्पेस मेडिसिन विशेषज्ञों, मनोविज्ञानियों, एयरोनॉटिकल इंजीनियरों, एविएशन जीवाणु विज्ञानियों आदि के सतत संपर्क में संस्थान रहता है ताकि वर्तमान ट्रेंड्स की उचित समझ विकसित हो सके।
“संस्थान ने कई एयरोस्पेस अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है”, एक वरिष्ठ वायुसेना अधिकारी ने कहा, “जिनमें कई-कई घंटों की लड़ाकू विमानों की उड़ानें भी शामिल हैं।”