भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख कैलासादिवु सिवान ने शनिवार (2 नवंबर) को कहा कि संगठन विक्रम लैंडर के दूसरे लैंडिंग पर प्रयास कर रहा है।
तमाम तरह की अटकलों पर विराम लगाते हुए इसरो प्रमुख ने कहा कि इसरो निश्चित रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक और लैंडिंग का प्रयास करेगा। IIT-Delhi के 50वें दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली आए सिवान ने कहा, “हम विक्रम लैंडर लैंडिंग के लिए तकनीक का प्रदर्शन करना चाहते हैं। हम विक्रम लैंडर लैंडिंग के लिए आगे बढ़ने के बारे में कार्य योजना पर काम कर रहे हैं।”
इसरो प्रमुख ने कहा, “आप सभी लोग चंद्रयान-2 मिशन के बारे में जानते हैं। तकनीकी पक्ष की बात करें तो यह सच है कि हम विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं करा पाए, लेकिन पूरा सिस्टम चाँद की सतह से 300 मीटर दूर तक पूरी तरह काम कर रहा था।” उन्होंने कहा यदि यह सफल रहा होता, तो भारत चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान को ले जाने वाला चौथा देश होता।
इस महत्वाकांक्षी मिशन के माध्यम से, भारत ने चंद्रमा के अंधेरे पक्ष की खोज करने का प्रयास किया। मिशन को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था। जब इसरो ने चंद्रयान -2 को अपनी जगह पर सफलतापूर्वक स्थापित करने में कामयाबी हासिल की थी, विक्रम लैंडर ने आखिरी समय में जमीनी स्टेशनों से संपर्क खो दिया था।
विक्रम लैंडर को चंद्र सतह पर भारत का पहला चंद्रमा रोवर ‘प्रज्ञान’ लॉन्च करना था।
जैसा कि ISRO द्वारा समझाया गया है, चंद्रमा मिशन का उपयोग पृथ्वी के इतिहास को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक प्रयोगशाला के रूप में किया गया था। माना जाता है कि एक समय में चंद्रमा, पृथ्वी का एक हिस्सा था। सौर मंडल के पहले के दिनों में वायुमंडल के संकेतों से पता चलता है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इकट्ठा जल 3-4 बिलियन वर्ष पुराना हो सकता है।
हालाँकि, इसरो का महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2, आज तक का सबसे चुनौतीपूर्ण अंतरिक्ष अभियान है, जिसने भारत और उसके नागरिकों को पहले ही गौरवान्वित कर दिया था। एक सामूहिक मिशन के रूप में, चंद्रयान-2 ने अपने उद्देश्य का 95% परिणाम हासिल कर लिया था।
भारत में तकनीकी शिक्षा के लिए आईआईटी को बेहद महत्वपूर्ण करार देते हुए के सिवान ने कहा कि उन्होंने तीन दशक पहले आईआईटी बॉम्बे से ग्रैजुएशन किया था। तब जॉब की स्थिति आज जैसी नहीं थी। उन्होंने कहा कि उस दौर में स्पेशलाइजेशन के क्षेत्र में सीमित ही विकल्प थे, लेकिन आज काफी अवसर हैं।