Sunday, November 17, 2024
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ISRO के चंद्रयान-2 ने भेजी क्रेटर (गड्ढे) की 3-D तस्वीरें, ‘अन्धविश्वासी’ बताने वालों के मुँह पर यह है एक तमाचा

इसरो ने चंद्रयान-2 को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारा था, जिस जगह पर अभी तक कोई और मिशन नहीं भेजा गया था और अतः यह हिस्सा अपेक्षाकृत रूप से कम जाना हुआ है। ऐसे में यह तस्वीर...

इसरो का चंद्रयान-2 चन्द्रमा की सतह के बारे में जानकारी लगातार भेज रहा है। हाल ही में इसके मिशन पेलोड की भेजी हुई एक तस्वीर को अंतरिक्ष एजेंसी ने जनता के साथ साझा किया है। ट्विटर पर शेयर की गई यह तस्वीर चाँद के लिंडरबर्ग नामक इलाके के पास के विशालकाय गड्ढे (क्रेटर) की है।

इसरो ने लिखा, “एक नज़र डालिए चंद्रयान-2 के टीएमसी-2 से बनाई गई क्रेटर की 3-D तस्वीर पर।”

इस तस्वीर के अलावा एजेंसी ने चंद्रयान-2 के एक दूसरे हिस्से टेरेन मैपिंग कैमरा-2 (टीएमसी-2) से चाँद की सतह के बारे में मिली जानकारी भी जारी की है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार टीएमसी-2 चंद्रयान-1 पर भेजे गए कैमरे टीएमसी-1 का फॉलो-ऑन है।

इस तस्वीर के स्पष्टीकरण में इसरो ने बताया कि सतह से 100 किलोमीटर ऊपर से ली गईं ये तस्वीरें पूरे चाँद की सतह का डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डीईएम) बनाने में काम आएँगी। गौरतलब है कि इसरो ने चंद्रयान-2 को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारा था, जिस जगह पर अभी तक कोई और मिशन नहीं भेजा गया था और अतः यह हिस्सा अपेक्षाकृत रूप से कम जाना हुआ है।

जारी तस्वीरों में अंतरिक्षीय उल्का आदि पिंडों की मार से चाँद पर बने क्रेटरों के अलावा लावा से बनी हुई कई तरह की संरचनाएँ जैसे रिल्स, ग्रेबेन स्ट्रक्चर्स आदि के अलावा भविष्य में रिहाइश की संभावना वाली लावा ट्यूब्स भी दिखाई गईं हैं।

यहाँ याद दिलाना ज़रूरी है कि चंद्रयान-2 मिशन की 98% सफलता और केवल विक्रम लैंडर की लैंडिंग के अंतिम चरण की नाकामी को लेकर हमारे देश के कुछ कथित अति-बुद्धिजीवियों ने एजेंसी का मज़ाक बनाया था। यहाँ तक कि ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक और सम्पादक प्रतीक सिन्हा, दलित नेता उदित राज जैसी विचारधारा वाले बहुतों ने ऐसा जताने की प्रत्यक्ष-परोक्ष कोशिश की थी कि चंद्रयान-2 मिशन न केवल पूरी तरह विफल रहा, बल्कि इसके पीछे कारण इसके निदेशक के शिवन की निजी आस्था (लॉन्च से पहले पूजा, कथित तौर पर ज्योतिषीय रूप से शुभ घड़ी में लॉन्च करना आदि) है। इसके ज़रिए बिना सीधे-सीधे बोले ऐसा दिखाने की कोशिश की गई थी कि हिन्दू आस्था, धार्मिक कर्म कांडों में विश्वास करने वाला व्यक्ति वैज्ञानिक तौर पर अक्षम होता है, और चंद्रयान-2 को इसी हाइपोथिसिस का सबूत दिखाया गया था। चंद्रयान-2 को लगातार मिलती जा रही सफलता ऐसी ही ओछी बातें करने वाली लोगों को जवाब है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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