भारत में पौराणिक काल से ही जड़ी-बूटियों का महत्व था। बताया जाता है कि बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज पेड़-पौधों से मिलने वाली इन बूटियों से संभव होता था। हालाँकि, धीरे-धीरे एलोपैथी का इतनी तेजी से प्रचार हुआ कि इनका उपयोग कम होता गया। मगर, आज एक बार फिर कोविड के दौर में इनकी महत्ता का मालूम चला है। हिमालय की वादियों पर एक फूल मिला है जिसके गुणों की जाँच परख के बाद पता चला है कि इसका इस्तेमाल कोविड में इलाज के लिए किया जा सकता है।
Phytochemicals in Himalayan plant found to inhibit SARS-CoV-2 @iit__mandi @ICGEBNewDelhi @RanjanN2022 #SujathaSunil @MetSysBioLab @https://indianexpress.com/article/technology/science/phytochemicals-himalayan-plant-inhibit-sarscov2-infection-7727592/lite/ via @IndianExpress
— Shyam Kumar Masakapalli (@SKMasakapalli) January 17, 2022
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी के रिसर्चर्स ने अपने शोध में पाया है कि बुरांश नाम का फूल जो हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कश्मीर में मिलता है और जिसका प्रयोग स्थानीय अच्छे स्वास्थ्य के लिए लंबे समय से करते आए हैं, वो फूल कोरोना की रोकथाम में भी कारगर है। रिसर्च के अनुसार, इस फूल के अर्क से शरीर में कोरोना संक्रमण की संख्या को बढ़ने से रोका जा सकेगा।
इस नए शोध को ‘बायोमॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर और डायनामिक्स’ जर्नल में छापा गया है। रिसर्च का नेतृत्व डॉ श्याम कुमार मसकपल्ली आईआईटी मंडी डॉक्टर रंजन नंदा, डॉ सुजाता सुनील ने किया है। इसमें सामने आया है कि इस फूल की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल है, जिनका उपयोग कोविड-19 होने पर इलाज के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा इसमें एंटीवायरल की खूबियाँ हैं जिसकी वजह से ये वायरल से लड़ने भी सक्षम है। जानकारी के मुताबिक बुरांश जिस पौधे पर उगता है उस पौधे को वैज्ञानिक भाषा में रोडोडेंड्रन अर्बोरियम (Rhododendron Arboreum) कहा जाता है।
यहाँ बता दें कि कोरोना महामारी को विश्व में फैले दो साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में शोधकर्ता इस रिसर्च में जुटे हैं कि वो किसी तरह ऐसे तरीके को ईजाद करें जिससे इस संक्रमण का रोकथाम संभव हो। बीते दिनों भारत में वैक्सीनेशन को कोरोना रोकने का एकमात्र तरीका माना गया था। हालाँकि अब ऐसी दवाइयों पर भी फोकस हो रहा है जिससे इसका इलाज मुमकिन हो। ऐसे समय में सामने आई इस रिसर्च की चर्च हर जगह है।
इस हालिया रिसर्च को करने वाले आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर श्याम कुमार कहते हैं, बुरांश के पौधे में मिले फाइटोकेमिकल्स यानी पौधों से मिलने वाले केमिकल असरदार साबित होते हैं। नेचुरल होने के कारण इनके जहरीले होने की आशंका भी नहीं रहती। रिसर्चर राजन नंदा ने कहा कि फूलों के अर्क में वायरस से लड़ने की कितनी खूबी है इसे समझने की कोशिश की गई थी और अंत में पाया गया कि इससे मिलने वाले फाइटोकेमिकल्स बेहद असरदार हैं। प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, ये प्रयोग वीरो ई 6 कोशिकाओं पर किया गया है। ये कोशिकाएँ अफ्रीकन ग्रीन मंकी की किडनी से डेवलप होती हैं। इसका उपयोग बैक्टीरिया और वायरस संक्रमण की गंभीरता को समझने के लिए किया जाता है। इन्हीं सेल्स पर जब फूलों का अर्क इस्तेमाल हुआ तो ये निष्कर्ष सामने आए कि ये कोविड के संक्रमण को रोकने में मददगार है।