Sunday, November 17, 2024
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आकाशगंगा के बीच में हुई जीवन की शुरुआत? वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में खोजा RNA, पृथ्वी पर जीवन के विकास को लेकर खुलेगा रहस्य

RNA एक प्रकार का न्यूक्लिक एसिड होता है, जो कोशिकाद्रव्य में पाया जाता है। यह यह शर्करा, नाइट्रोजन क्षार और फॉस्फेट ग्रुप से बना होता है। इसका प्रमुख काम प्रोटीन निर्माण में सहायता करना है। धन्या देने वाली बात ये है कि DNA एक आनुवांशिक पदार्थ है, वहीं RNA गैर-आनुवांशिक है। एक पीढ़ी के लक्षणों को दूसरी पीढ़ी में ले जाने में इसका कोई रोल नहीं होता है।

डिऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड (DNA) की तरह ही जीवन के निर्माण में महती भूमिका राईबो न्यूक्लिक एसिड (RNA) का है। ये शरीर की संरचना को बनाने वाले कोशिकाओं के नाभि में पाया जाता है। अब वैज्ञानिकों के पाया है कि RNA का निर्माण करने वाले अणु अंतरिक्ष में आकाशगंगाओं को ढँके रखने वाले घने आणविक बादलों में पाए गए हैं।

इन बादलों में विभिन्न प्रकार के नाइट्रल्स (Nitriles) या यौगिक मिश्रण की एक बड़ी श्रृंखला है। ये कार्बन वाले अणु अकेले में बेहद जहरीले होते हैं, लेकिन जैसे ही उपयुक्त वातावरण में आते हैं, ये जीवन की उत्पत्ति करने वाले अणुओं के निर्माण में सहायक हो जाते हैं। यानी एक जहरीला अणु वातावरण के बदलाव के साथ ही जीवन निर्माण की प्रक्रिया का अंग बन जाता है।

आकाशगंगा के केंद्र में पहचाने गए प्रीबायोटिक अणुओं (जीवन के उद्भव में शामिल अणु) वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करेगा कि इस धरती पर जीवन का विकास कैसे हुआ और उसमें ब्रह्मांड की इन शक्तियों या कहें अणुओं ने किसी रूप में भूमिका निभाई।

स्पैनिश नेशनल रिसर्च काउंसिल और नेशनल इंस्टीट्यूट के एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट विक्टर रिविला का कहना है कि ब्रह्मांड में ये कार्बन वाले अणु आपस में मिलकर कई तरह की रासायनिक क्रिया करते हैं और यौगिक मिश्रण का निर्माण करते हैं। इस तरह ये आरएनए की दुनिया (RNA World) की संरचना करते हैं।

इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि संभवत: यहीं से जीवन की शुरुआत हुई और पृथ्वी पर आई। हालाँकि, जीवन की उत्पति आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ा रहस्य है, लेकिन आकाशगंगा में RNA World की पहचान के साथ ही वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अब इस रहस्य को इससे समझने में मदद मिलेगी।

एक धारणा यह भी है कि RNA सबसे पहले मेटाफोरिकल स्राव के रूप में आया, उसके बाद खुद में बदलाव करते हुए विभिन्न रूपों में परिवर्तित हुआ। इसे आरएनए वर्ल्ड हाइपोथिसिस (RNA World Hypothesis) कहा जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी से इसके प्रमाण मिलने की संभावना कम है, लेकिन RNA के प्रारंभिक अणु यहाँ तारों से आए, शुद्रग्रहों से आए या उल्कापिंडों से आए, इसकी जानकारी हासिल करना महत्वपूर्ण है।

रविला का कहना है कि सौर मंडल का जन्म बादल से लंबे समय से चला आ रहा है, लेकिन आकाशगंगा का केंद्र घने आणविक बादलों से बना है। इसे सेंट्रल मॉलिक्यूलर ज़ोन कहा जाता है और वैज्ञानिकों को वहाँ प्रीबायोटिक अणुओं का एक गुच्छा लटका हुआ मिला है।

इनमें G+0.693-0.027 नाम का एक विशेष बादल है। वहाँ अभी तक तारे के बनने का कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि भविष्य में वहाँ एक तारे का निर्माण होगा। रिविला ने कहा, “जी+0.693-0.027 की रासायनिक सामग्री हमारी आकाशगंगा में अन्य क्षेत्रों में तारों या धूमकेतु का निर्माण करने वाली सामग्री के समान है।” रिविला का मानना है कि इसके अध्ययन से नेबुला में उपलब्ध रासायनिक अवयवों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है, जो ग्रह प्रणाली को जन्म देते हैं।

G+0.693-0.027 से उत्सर्जन विशेषताओं का सावधानीपूर्वक अध्ययन और विश्लेषण करने के बाद रिविला और उनके सहयोगियों ने पाया कि वहाँ सायनिक एसिड, सायनोएलीन, प्रोपरगिल साइनाइड और सायनोप्रोपीन सहित नाइट्राइल की एक श्रृंखला की पहचान की। पिछले अवलोकनों में सायनोफॉर्मलडिहाइड और ग्लाइकोलोनिट्राइल की उपस्थिति का पता चला।

इससे पता चलता है कि आकाशगंगा में नाइट्राइल सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले रासायनिक परिवारों में से है और यह आरएनए के लिए सबसे बुनियादी बिल्डिंग ब्लॉक बादलों में पाए जाते हैं, जो तारों और ग्रहों के निर्माण में सहायक होते हैं।

वहीं, स्पैनिश नेशनल रिसर्च काउंसिल और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी के एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट इजास्कुन जिमेनेज-सेरा का मानना है कि इतना पता लगाने के बाद भी अभी महत्वपूर्ण अणु लापता हैं और संभवत: उनका पता लगाना मुश्किल है।

उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिए शायद लिपिड जैसे अन्य अणुओं की भी आवश्यकता होती है, जो पहली कोशिकाओं के गठन के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसलिए यह समझना आवश्यक है कि तारों के बीच उपलब्ध सरल एवं महत्वपूर्ण अणुओं से लिपिड कैसे बन सकते हैं।

क्या है RNA

RNA जीवों के शरीर की कोशिका के कोशिका द्रव्य में पाया जाता है। हालाँकि, उसकी नाभिक के अंदर बहुत कम पाया जाता है। इसका उपयोग आनुवंशिक कोड को न्यूक्लियस से रैबोसोम में प्रोटीन बनाने के लिए और डीएनए ब्ल्यूप्रिंट के दिशानिर्देशों को ले जाने में किया जाता है।

सरल भाषा में कहें तो RNA एक प्रकार का न्यूक्लिक एसिड होता है, जो कोशिकाद्रव्य में पाया जाता है। यह यह शर्करा, नाइट्रोजन क्षार और फॉस्फेट ग्रुप से बना होता है। इसका प्रमुख काम प्रोटीन निर्माण में सहायता करना है। धन्या देने वाली बात ये है कि DNA एक आनुवांशिक पदार्थ है, वहीं RNA गैर-आनुवांशिक है। एक पीढ़ी के लक्षणों को दूसरी पीढ़ी में ले जाने में इसका कोई रोल नहीं होता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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