भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से अपने उन्नत नेविगेशन उपग्रह NVS-01 को लॉन्च किया है। जीएसएलवी रॉकेट (GSLV-F12) की मदद से इस सैटेलाइट का प्रक्षेपण सुबह 10.42 बजे किया गया। लगभग 19 मिनट की उड़ान के बाद NVS-O1 सैटेलाइट को सही तरीके से तय कक्षा में पहुँचा दिया गया। इसी के साथ यह मिशन पूरा हो गया।
NVS-01 सैटेलाइट भारतीय नेविगेशन सेवा ‘नाविक’ (NavIC) की दूसरी पीढ़ी (Next Generation Navigational Satellite) के उपग्रहों में से पहला है। खास बात यह है कि एनवीएस-01 में स्वदेशी परमाणु घड़ी (Atomic Clock) लगाई गई है। इसके पहले सटीक तिथि और जगह की जानकारी का पता लगाने के लिए रूबिडियम परमाणु घड़ियों को विदेशों से आयातित करना पड़ता था। इसरो ने इस मिशन के लिए खास तौर पर अपने देश में विकसित की गई रूबिडियम परमाणु घड़ी का इस्तेमाल किया है। इसे विकसित करने की तकनीक कुछ ही देशों के पास है।
परमाणु घड़ियों द्वारा ही सिग्नल को भेजने और सिग्नल को प्राप्त करने में लगे समय की गणना की जाती है। इसके आधार पर स्थान निर्धारण किया जाता है। इसरो की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार एनवीएस-01 उपग्रह L5 और S फ्रीक्वेंसी सिग्नल के अलावा L1 सिग्नल भेजने में भी सक्षम होगा। मौसम संबंधी अलर्ट जारी करने में इस सिग्नल से काफी सहायता मिलती है। बता दें ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) में सबसे अधिक L1 सिग्नल का ही उपयोग होता है।
#WATCH | Indian Space Research Organisation's advanced navigation satellite GSLV-F12 and NVS-01 successfully completed their mission.
— ANI (@ANI) May 29, 2023
(Video source: ISRO) pic.twitter.com/Tqxsc8YTln
बता दें इंडियन रीजनल नेविगेशन सिस्टम (IRNSS) के तहत सात सैटेलाइट छोड़े गए थे। इनके जरिए भारत में नेविगेशन सेवाएँ मिल रही थीं। इनका इस्तेमाल सेना और विमान सेवाओं के लिए किया जा रहा था। इनमें से तीन सैटेलाइट काम नहीं कर रहे थे। इसलिए इसरो ने 5 नए सैटेलाइट लॉन्च करने की ठानी।
सैटेलाइट से क्या होगा फायदा?
इन आधुनिक सैटेलाइट्स को पुराने सैटेलाइट्स की तुलना में अधिक समय तक काम कर पाने की क्षमता के साथ बनाया गया है। पुराने उपग्रह 10 सालों तक सेवाएँ देते हैं जबकि नेक्स्ट जेनरेशन सैटेलाइट 12 सालों तक सटीक सेवाएँ दे सकते हैं। एनवीएस-01 भारत के समुद्र के भीतर सटीक और रीयल टाइम नेविगेशन सेवा उपलब्ध कराएगी। जिससे समंदर में जहाजों के रियल टाइम पोजीशन का सटीक अंदाजा लग सकेगा।
इसके अलावा इससे हवाई, स्थलीय और समुद्री नेविगेशन में सहायता मिलेगी। NVS-01 से मोबाइल लोकेशन सर्विसेस और भी दुरुस्त हो जाएँगी। इससे इमरजेंसी सर्विसेस, जियोडेटिक सर्वे, मरीन फिशरीज, कृषि संबंधी जानकारी हासिल करने में सहायता मिलेगी।