ईस्टर्न नौसेना कमांड के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ़ (FOC-in-C) वाइस ऐडमिरल करमबीर सिंह को अगला नौसेना प्रमुख नियुक्त किया गया है। वे 31 मई 2019 को रिटायर हो रहे सुनील लांबा का स्थान ग्रहण करेंगे। वाइस ऐडमिरल सिंह के बारे में बता दें कि वो ऐसे पहले हेलीकॉप्टर पायलट हैं, जिनके हाथों में नौसेना की कमान सौंपी गई है।
वाइस ऐडमिरल सिंह की नियुक्ति विपक्ष एक बार फिर मोदी सरकार को घेर सकती है। वजह सीनियरटी होगी। आपको बता दें कि अंडमान निकोबार के कमांड चीफ वाइस ऐडमिरल बिमल वर्मा उनसे 5 महीने सीनियर हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने वरिष्ठता के मापदंड को नज़रअंदाज़ करके वाइस ऐडमिरल सिंह के हाथों में नौसेना प्रमुख की ज़िम्मेदारी सौंपने का जो निर्णय लिया है, उसके पीछे वजह प्रतिभा है, जिसे अवसर देने का अधिकार सरकार के पास सैद्धांतिक तौर पर है। थल सेना प्रमुख जनरल रावत की नियुक्ति के समय भी सरकार ने यही मापदंड अपनाया था। और तब विपक्ष ने इस को मुद्दा भी बनाया था।
वाइस ऐडमिरल सिंह की प्रतिभा की बात करें तो वे एक कुशल नौसेना अधिकारी हैं। उनके पास चेतक, कामोव-25 और कामोव-28 जैसे ऐंटी-सबमरीन युद्धक हेलीकॉप्टर उड़ाने का अनुभव प्राप्त है। अपने 39 साल के करियर में उन्होंने कई बड़ी ज़िम्मेदारियों को बख़ूबी निभाया और अपनी विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने विजयदुर्ग, INS राणा, INS दिल्ली की कमान संभालते हुए अपनी पूरी ईमानदारी से कर्तव्यों का पालन किया। इसके अलावा वे महाराष्ट्र और गुजरात में भी कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। वाइस ऐडमिरल सिंह की नियुक्ति दो साल के लिए की गई है। इसके तहत वे नवंबर 2021 तक नौसेना प्रमुख रहेंगे।
वाइस ऐडमिरल सिंह की नियुक्ति से पहले भी केंद्र सरकार ने ऐसे ठोस क़दम उठाए हैं, जिनसे यह साफ झलकता है कि महत्वपूर्ण पदों पर सिर्फ वरिष्ठता को आधार न मानते हुए प्रतिभा को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए। थल सेना प्रमुख की नियुक्ति के समय भी वरिष्ठता को एक तरफ रखते हुए जनरल प्रवीण बख्शी और पीएम हारिज की जगह सरकार ने जनरल बिपिन रावत को ज़िम्मेदारी सौंपी थी।
केंद्र सरकार ने सत्ता पर क़ाबिज़ होते ही इस तरह के फ़ैसलों को तरजीह दी थी, जिसमें वरिष्ठता के पुराने ढर्रे को त्यागकर प्रतिभा को प्राथमिकता देना शामिल था। सरकार अपने द्वारा उठाए गए इन क़दमों से देश में यह संदेश देना चाहती थी कि किसी भी पद पर क़ायम होने के लिए वरिष्ठता को आधार नहीं बनाना चाहिए बल्कि प्रतिभा की प्राथमिकता को महत्व देना चाहिए। साल 2014 में वरिष्ठता की पुरानी परिपाटी पर न चलते हुए ऐडमिरल रॉबिन धवन को सैन्य प्रमुख नियुक्त किया गया था। उस वक्त ऐडमिरल शेखर उनसे सीनियर थे।
देखा जाए तो केंद्र सरकारी ने शुरुआत से ही अपनी नीतियों को स्पष्ट कर दिया था। इसमें नए तरीक़ों को भी शामिल किया गया था। सरकार का मानना है कि इस तरह के फ़ैसलों से देश के विकास को सही और न्यायोचित दिशा मिल सकेगी।