Sunday, December 22, 2024
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हाजी रफअत अली के जनाजे में 15000 की भीड़, कॉन्ग्रेस नेता बने हिस्सा, राजस्थान पुलिस ने दी सुरक्षा: देखें Video

राजस्थान पुलिस ने यहाँ इकट्ठा हुई 15 हजार की भीड़ को रोकने या तितर-बितर करने की बजाय उन्हें सुरक्षा प्रदान की और अन्य लोगों की तरह वह खुद भी जनाजे के साथ-साथ चलते रहे। इनके अलावा कॉन्ग्रेस के दो नेता भी इस अंतिम यात्रा का हिस्सा बने।

राजस्थान की राजधानी जयपुर में सोमवार (31 मई, 2021) को हार्ट अटैक के कारण समाजसेवी हाजी रफअत अली के निधन के बाद उनकी अंतिम यात्रा में जमकर कोविड नियमों की धज्जियाँ उड़ीं। हैरानी की बात ये है कि राजस्थान पुलिस ने यहाँ इकट्ठा हुई 15 हजार की भीड़ को रोकने या तितर-बितर करने की बजाय उन्हें सुरक्षा प्रदान की और अन्य लोगों की तरह वह खुद भी जनाजे के साथ-साथ चलते रहे। इनके अलावा कॉन्ग्रेस के दो नेता भी इस अंतिम यात्रा का हिस्सा बने।

अब इस पूरी घटना की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। हाजी रफअत अली की अंतिम यात्रा में देख सकते हैं कि भीड़ कैसे बिना किसी सोशल डिस्टेंसिंग के खुली सड़क पर चल रही है और इनमें कइयों के मुँह पर मास्क तक नहीं है।  वीडियो के वायरल होने के बाद रामगंज पुलिस ने नियमों का उल्लंघन व कोरोना महामारी अधिनियम के तहत विधायक रफीक खान सहित 11 लोगों पर नामजद व अन्य के ख़िलाफ़ मुकदमा दायर किया है।

बता दें कि समाजसेवी के तौर पर पहचाने जाने वाले हाजी रफअत अली के ही कहने पर ही कुछ दिन पहले ईद का जुलूस टाला गया था। ऐसे में शर्मनाक बात ये है कि उनकी ही अंतिम यात्रा में उनके अनुयायियों ने न केवल कोविड नियमों की जमकर धज्जियाँ उड़ाईं बल्कि उनकी बात का भी अनादर किया। इस दौरान पुलिस ने किसी भी व्यक्ति को नहीं रोका। बस जनाजे के साथ-साथ मजहबी भावनाओं का ख्याल करते हुए चलते रहे। खुद डीसीपी अनिल पारिस देशमुख, आरपीएस सुमित शर्मा, सुनील शर्मा, रामगंज थानाधिकारी बीएल मीना, सुभाषचौक थानाधिकारी भूरी सिंह मौजूद रहे।

इससे पहले राजस्थान के जैसलमेर में सालेह मोहम्मद के अब्बा के निधन के बाद भी उनके जनाजे में कई लोग शामिल हुए थे। लेकिन राज्य सरकार या प्रशासन ने वहाँ भी अपनी आँख में पट्टी बाँधे रखी। करीब 5 हजार की भीड़ होने के बावजूद राजस्थान पुलिस ने न किसी पर कोई एक्शन लिया और न ही कोविड नियमों का पालन करने को कहा।

आमजन पर पुलिस की दबंगई

गौरतलब है कि एक ओर जहाँ मजहबी उलेमाओं के निधन पर राजस्थान पुलिस को 10 से 15 हजार की भीड़ जुटने से भी आपत्ति नहीं हो रही। वहीं आम जन या दूसरे पक्ष के लिए इस पुलिस का रवैया बर्बर मालूम पड़ता है।

उदाहरण के लिए जिस दिना राज्य मंत्री सालेह मोहम्मद के अब्बा का निधन हुआ और मना करने के बावजूद 5 हजार की भीड़ उसमें जुटी उसी दिन धौलपुर में भाजपा विधायक सुखराम खोली ने हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अखंड रामायण का पाठ कराया। इसमें 500 से अधिक लोग जुट गए। सीएम गहलोत ने एक बैठक में यहाँ के DM-SP को सबके सामने फटकार लगा डाली। 

इसी प्रकार पिछले महीने की बात है कि जोधपुर में पुलिसकर्मी अपनी वर्दी की धौंस दिखा कर लॉकडाउन में बंद पड़े रेस्टोरेंट को खुलवाकर खाना खाते और स्टाफ से मारपीट करते पाए गए थे। इन पुलिसकर्मियों ने जोधपुर चिकन सेंटर पर दुकान को हमेशा बंद कराने की धमकी देते हुए उसे खुलवाकर चिकन पार्टी की थी।

बता दें कि आम जन के साथ बदसलूकी और मजहबी नेताओं के इंतकाल के समय भीड़ को सुरक्षा देने वाली राजस्थान पुलिस को लेकर कुछ दिन पहले दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित हुई थी जो बताती है कि राज्य में रियायतें मात्र एक तरह की स्थिति में मिल रही है। वरना 17 मई की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान पुलिस राज्य में नियमों का उल्लंघन करने पर आम जन से 21 लाख 51 हजार रुपए इकट्ठा कर चुकी हैं। इनमें सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं लगाने पर 4 लाख 57 हजार 138, बिना मास्क लगाए सामान बेचने पर 20,849 लोगों के खिलाफ चालान किए गए हैं। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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