असम के धेमाजी स्कूल पर 2004 में बम से हमला हुआ था, जिसमें 13 माँ-बच्चों समेत 18 लोगों की जान चली गई थी। अब गुवाहाटी हाईकोर्ट ने 6 आरोपितों को बरी कर दिया है। इससे पहले साल 2019 में 8 आरोपितों को बरी कर दिया गया था। जिन 6 आरोपितों को हाईकोर्ट ने बरी किया है, उनमें चार को उम्रकैद की और दो लोगों को चार साल की सजा सुनाई गई थी। वहीं, इस केस का मुख्य आरोपित राशिद भराली अभी भी लापता है।
पीड़ितों ने पूछा-आरोपित गुनाहगार नहीं, तो किसने किया धमाका?
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ितों में गुस्सा है। उन्होंने सरकार से इस धमाके के असली दोषियों के बारे में पूछा है। पीड़ितों का कहना है कि उनके लोगों की जान गई, उनका नुकसान हुआ और आरोपित बरी हो गए तो फिर इस धमाके कैसे हुआ था? इस धमाके के पीड़ितों में से एक नित्यानंद सैकिया ने अपनी दो बहनें खो दी थीं। उनका कहना है कि जब आरोपितों ने धमाका किया ही नहीं तो इसे किसने अंजाम दिया? उन्होंने कहा कि उन्हें न्याय नहीं मिला।
राज्य सरकार करेगी सुप्रीम कोर्ट में अपील
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने 24 अगस्त को दिए अपने फैसले में निचली अदालत से दोषी करार दिये गए दीपांजलि गोहैन, मुही हैंडिक, जतिन दुवारी और लीला गोगोई के साथ ही प्रशांत भुयान, हेमेन गोगोई को बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि आरोपितों के खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले हैं। अब मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि उन्होंने डीजीपी को निर्देश का अध्ययन करें और इसमें कुछ गलत निकलता है तो सुप्रीम कोर्ट में अपील किया जाए।
10 बच्चों और तीन महिलाओं की हुई थी मौत
धेमाजी के इस स्कूल में साल 2004 में सुबह 9 बजे स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम चल रहा था। उसी समय स्कूल परिसर को आरडीएक्स से धमाका कर निशाना बनाया गया था। इस हमले में छोटे-छोटे मासूमों के चीथड़े उड़ गए थे। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बच्चों के परिजन भी पहुँचे थे। इसमें बच्चों के साथ आईं तीन महिलाओं की भी मौत हो गई थी। कई परिवारों की जड़ें खत्म गई थी। इस हमले के बाद असम में उल्फा का तीखा विरोध हुआ था।
उल्फा ने पांच साल बाद ली थी जिम्मेदारी, मांगी थी माफी
बता दें कि धेमाजी स्कूल पर हमला स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के दौरान हुआ था। इस हमले का आरोप उल्फा पर लगा था, लेकिन उल्फा ने अपनी संलिप्तता से इन्कार कर दिया था। हालाँकि, साल 2009 में उल्फा ने इस हमले की जिम्मेदारी ले ली और पीड़ितों से माफी माँगी ली थी।
उल्फा चीफ अरबिंदा राजखोवा ने पीड़ितों से मुलाकात कर कहा था कि उनके कैडर ने उन्हें गलत जानकारियाँ दी थीं, इसलिए उन्होंने अब तक इसकी जिम्मेदारी नहीं ली थी। उस समय राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे तरुन गोगोई। उनकी कैबिनेट के मंत्री पर इस मामले को दबाने के आरोप लगे थे। हालाँकि, उन्हें कभी आरोपित नहीं बनाया गया। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में 15 लोगों को आरोपित बनाया था।