राजस्थान में उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे लाइन (Udaipur-Ahmedabad Railway Line Blast) रेलवे ट्रैक और पुल को 12 नवंबर 2022 की रात बारूद और डेटोनेटर से उड़ाने की आतंकी कोशिश की गई थी। इस जगह से 70 किलोमीटर दूर आसपुर में करीब 186 किलोग्राम जिलेटिन मिले हैं। राजस्थान में डेटेनेटर और बारूद आसान से खरीदा जा सकता है।
सात बोरियों में भरे जिलेटिन के छड़ डूंगरपुर जिले के गडा नाथजी के पास सोम नदी पर बने भबराना पुल के नीचे से बरामद किए गए हैं। इसे भबराना गाँव के लोगों ने देखा और इसकी जानकारी प्रशासन को दी। इसके पैकेट पर राजस्थान का पता लिखा हुआ है। हालाँकि, गीला होने के पैकेट का कागज गल गया है, जिससे लिखा हुआ स्पष्ट नहीं दिख रहा है।
पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन्हें कहाँ से लाया गया था। इसे किसी साजिश को अंजाम देने के लिए यहाँ छिपाकर रखा गया था या यहाँ फेंक दिया गया था, इसकी भी पुलिस जानकारी जुटा रही है। इन सब के पीछे कौन लोग शामिल हैं और वे किससे जुड़े हैं, इसकी जानकारी अभी तक पुलिस के पास नहीं है।
आसपुर एसएचओ सवाई सिंह सोढ़ा के अनुसार, बड़ी मात्रा में जिलेटिन की छड़ें मिली हैं। इन्हें जब्त कर लिया गया है। इसकी हर एंगल से जाँच की जा रही है। इस मामले में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
बता दें कि उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे लाइन ट्रैक को उड़ाने की कोशिश की गई थी। इस हमले में रेलवे पटरियों में दरार और पुल को नुकसान पहुँचा है। इस जगह से सुपर पावर 90 डेटोनेटर बरामद किए गए थे। इसके बाद इसकी जाँच आतंकी एंगल से की जा रही है। इस रैलवे ट्रैक का उद्घाटन घटना से 13 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में डेटेनेटर और बारूद खरीदना आसान है। अगर कोई इन्हें लेकर एक जगह से दूसरी जगह जाता है तो उससे पूछने वाला भी कोई नहीं है। भास्कर की टीम ने डेटोनेटर खरीदने का प्रयास किया और यह बहुत आसानी से मिल गया। इसे राजसमंद से उदयपुर तक लाने में किसी ने रोक-टोक तक नहीं की।
3,500 रुपए में 25 किलोग्राम डेटोनेटर राजसमंद में आसानी से उपलब्ध है। उदयपुर जिले के ओड़ा, सिंघटवाड़ा, केवड़ा, रेला, पलोदड़ा, देवाला और एकलिंगपुरा जैसी जगहों पर 25 किलोग्राम की पेटी 3,500 से 6,000 रुपए में मिल रहे हैं। डेटोनेटर के सप्लायर जितनी मर्जी उतनी आपूर्ति देने को तैयार थे।
बता दें कि डेटोनेटर को लाइसेंस होने पर ही खरीदा जा सकता है। इसे खनन करने वाली कंपनियाँ आमतौर पर इस्तेमाल करती हैं। केंद्र और राज्य सरकार के सख्त निर्देश हैं कि इनकी खरीद-बिक्री का रिकॉर्ड ऑनलाइन दर्ज करना जरूरी होता है। हालाँकि, राजस्थान के अधिकांश जिलों में डेटोनेटर अवैध रूप से बिक रहे हैं और इसकी जानकारी छिपा ली जाती है।