दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने शुक्रवार (मई 8, 2020) दिल्ली हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। जिस पर 12 मई को सुनवाई होगी। इस बीच शुक्रवार को ही प्रमुख मजहबी संगठनों ने जफरुल इस्लाम खान के खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मुकदमे को वापस लेने की माँग की है।
जफरुल खान के समर्थन में 20 मौलवियों और नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। इस बयान में उन्होंने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा दर्ज किए गए FIR की निंदा करते हुए कहा कि खान को उत्पीड़ितों के लिए बोलने के लिए ‘दंडित’ किया जा रहा है।
बता दें कि जफरुल ने ‘काफिरों’ को चेताते हुए कहा था कि कट्टर हिन्दुओं को शुक्र मनाना चाहिए कि भारत के मुस्लिमों ने अरब जगत से कट्टर हिन्दुओं द्वारा हो रहे ‘घृणा के दुष्प्रचार, लिंचिंग और दंगों’ को लेकर कोई शिकायत नहीं की है और जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन अरब के मुस्लिम एक आँधी लेकर आएँगे, एक तूफ़ान खड़ा कर देंगे। इस विवादित पोस्ट के बाद जफरुल इस्लाम के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए और 153 ए के तहत FIR दर्ज किया गया।
दिल्ली पुलिस को ‘पक्षपाती’ बताते हुए देश के विभिन्न हिस्सों के मौलवियों और मजहबी नेताओं ने आरोप लगाया कि खान के खिलाफ केस दर्ज कर ये समुदाय विशेष को ‘निशाना’ बनाने का एक और तरीका है।
20 मजहबी हस्तियों द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, “जफरुल इस्लाम के ट्वीट से असहमति हो सकती है। उन्होंने इस बारे में स्पष्टीकरण भी जारी किया था। मगर रिपोर्टों के अनुसार, इसके बावजूद दिल्ली पुलिस के अधिकारी बिना किसी पूर्व सूचना के उनके आवास पर पहुँचे और उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए अड़े थे। लॉकडाउन के दौरान एक अर्ध-न्यायिक संस्था के प्रमुख के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई, वो भी इफ्तार से ठीक पहले, इस ओर इशारा करता है कि पुलिस किस हद तक गिर सकती है।”
मजहबी नेताओं ने कहा कि इस साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों के दौरान जान-माल के भारी नुकसान के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करने में विफल होने के बाद, दिल्ली पुलिस विभिन्न तरीकों से समुदाय विशेष को निशाना बना रही है।
बयान में आगे कहा गया है, “उन नापाक गतिविधियों, जहरीले भाषणों और संगठित हमलों को नजरअंदाज किया जाता है, जिसे पूरी दुनिया जानती है और शोषितों के लिए आवाज उठाने वालों को दंड दिया जाता है, पुलिस के हाथों सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों को निशाना बनाया जाता है। यह पूरे देश के लिए बेहद खतरनाक है। हम माँग करते हैं कि सरकार को डॉ जफरुल इस्लाम खान के खिलाफ दर्ज FIR तुरंत वापस लेनी चाहिए और दिल्ली पुलिस को निर्दोष नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका जाना चाहिए।”
इस बयान पर दस्तखत करने वालों में जमीयत उलेमा ए हिंद के अरशद मदनी, बरेली की मिल्ली इत्तेहाद काउंसिल के तौकीर रज़ा खान, जमात ए इस्लामी हिंद के सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के सैयद कासिम रसूल इलियास, स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया के लबेद शफी, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के डॉ मंजूर आलम और मुस्लिम मजलिस ए मुशावत के नावेद हामिद आदि के नाम शामिल हैं।
बता दें कि जफरुल इस्लाम खान के घर पहुँची स्पेशल सेल की टीम को विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके बाद टीम बिना जाँच किए वापस लौट आई। पुलिस ने जफरुल इस्लाम खान से मोबाइल और लैपटॉप जमा करने को कहा है।
खान ने 6 मार्च को साइबर सेल को पत्र लिखकर अपनी असमर्थता का जिक्र किया। बीमारी और बुढ़ापे का हवाला देते हुए जफरुल ने कहा कि वह पूछताछ में सहयोग करने लिए पुलिस स्टेशन नहीं जा सकते। जफरुल इस्लाम ने यह भी कहा है कि वह अपने घर पर दिन के समय पूछताछ के लिए उपलब्ध हैं।