तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने की बात कही थी। इसको लेकर देश की 262 प्रतिष्ठित हस्तियों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर स्वतः संज्ञान लेने का अनुरोध किया है। पत्र लिखने वालों में पूर्व न्यायाधीश, ब्यूरोक्रेट्स और सेना के रिटायर्ड अफसर शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि उदयनिधि स्टालिन द्वारा दिया गया बयान भारत की एक बड़ी आबादी के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण की तरह है। उन्होंने न केवल नफरती भाषण दिया बल्कि माफी माँगने से भी इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि वह सनातन धर्म के खिलाफ लगातार बोलते रहेंगे। उनके इस तरह के बयान से सांप्रदायिक हिंसा भड़क सकती है। देश के ‘धर्मनिरपेक्ष चरित्र’ को बचाए रखने के लिए स्टालिन के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता है।
List of the 262 eminent personalities who wrote a letter to the CJI on Tamil Nadu minister Udhayanidhi Stalin's remarks on 'Sanatan Dharma'. (n/1) pic.twitter.com/YpM4mErxly
— Press Trust of India (@PTI_News) September 5, 2023
इस पत्र में मुख्य न्यायाधीश से ‘शाहीन अब्दुल्ला बनाम भारत सरकार’ मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए के आदेश का जिक्र कर उदयनिधि स्टालिन के नफरत भरे बयान पर ध्यान देने के लिए कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने नफरत फैलाने वाले बयानों की बढ़ती संख्या देखकर औपचारिक शिकायत दर्ज होने का इंतजार किए बिना राज्य सरकार और पुलिस अधिकारियों को स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। लेकिन, इस गंभीर मामले में प्रशासन द्वारा की गई देरी एक तरह से अदालत की अवमानना है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे इस पत्र में कहा गया है कि वह सनातन धर्म के महत्व को तो जानते ही हैं, उसे कम करके नहीं आँका जा सकता। हिंदुओं को ही सनातनी कहा जाता है और यह हमेशा ही कहा जाता रहेगा। हिंदू धर्म सभी को अपने हिसाब से अपने भगवान चुनने और उनकी पूजा करने की स्वतंत्रता देता है।
पत्र में यह भी कहा गया है कि स्टालिन का बयान भारतीय संविधान की मूल भावना पर हमला है। तमिलनाडु सरकार ने इस मामले में किसी भी तरह कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है। स्टालिन पर कार्रवाई न होना एक तरह से यह दर्शाता है कि कानून कमजोर हो गया है या फिर इसका मजाक बना दिया गया है।
CJI चंद्रचूड़ के नाम इस पत्र के आखिर में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट से आग्रह है कि वह अवमानना का स्वत: संज्ञान ले और तमिलनाडु सरकार की निष्क्रियता के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करे। साथ ही नफरत फैलाने वाले भाषण को रोकने, सार्वजनिक व्यवस्था और शांति बनाए रखने के लिए निर्णायक कदम उठाए। यह भी कहा कि उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस पत्र पर विचार करेगा और जल्द ही कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।
उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने वालों में इन 262 लोगों में मध्य प्रदेश, गुजरात, इलाहाबाद, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा, सिक्किम, तेलंगाना हाई कोर्ट के 14 पूर्व न्यायाधीश, 20 राजदूत, पूर्व रक्षा सचिव, पूर्व रॉ प्रमुख, पूर्व विदेश सचिवों सहित 130 सेवानिवृत्त नौकरशाह और सशस्त्र बल के 118 रिटायर्ड अधिकारी शामिल हैं।
क्या बोला था उदयनिधि स्टालिन ने
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने 2 सितंबर को कहा था कि सनातन धर्म मलेरिया और डेंगू की तरह है और इसलिए इसे खत्म किया जाना चाहिए, न कि केवल इसका विरोध किया जाना चाहिए।
ट्विटर पर वायरल हो रहा बयान
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर किए गए उनके भाषण की एक वीडियो क्लिप में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “सनातन धर्म को खत्म करने के लिए इस सम्मेलन में मुझे बोलने का मौका देने के लिए मैं आयोजकों को धन्यवाद देता हूँ। मैं सम्मेलन को ‘सनातन धर्म का विरोध’ करने के बजाय ‘सनातन धर्म को मिटाओ‘ कहने के लिए आयोजकों को बधाई देता हूँ।”
‘सनातनम को खत्म करना हमारा पहला काम’
उदयनिधि स्टालिन ने कहा, “कुछ चीजें हैं जिनका हमें उन्मूलन करना है और हम केवल विरोध नहीं कर सकते। मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया, कोरोना, ये सभी चीजें हैं जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें मिटाना है। सनातन भी ऐसा ही है। विरोध करने की जगह सनातन को ख़त्म करना हमारा पहला काम होना चाहिए।”
उन्होंने सवालिया लहज़े में पूछा कि “सनातन क्या है? सनातन नाम संस्कृत से आया है। सनातन समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है। सनातन का अर्थ ‘स्थायित्व’ के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता। कोई भी सवाल नहीं उठा सकता। सनातन का यही अर्थ है।”