Friday, November 22, 2024
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पति की खातिर दलित महिला गुंडों के सामने झुकी, 3 घंटे तक 5 युवकों ने किया रेप – बनाए 11 वीडियो क्लिप

चुनाव के कारण घटना का खुलासा न कर के पुलिस क्या किसी को राजनीतिक फायदा पहुँचाना चाहती थी? अगर ऐसा नहीं था तो पुलिस कहीं आरोप‍ितों के पक्ष में ही तो नहीं थी? अगर ये दोनों कारण नहीं हैं, तो घटना का खुलासा 4 दिन बाद तब क्यों किया, जब वीडियो वायरल हो गया?

राजस्थान के अलवर में एक बेहद ही शर्मनाक घटना में 5 युवकों ने पति के सामने ही पत्नी के साथ कथित तौर पर गैंगरेप को अंजाम दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपित युवकों ने गैंगरेप के बाद दलित जाति की पीड़ित युवती का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। यह घटना राजस्थान के अलवर जिले के थानागाजी इलाके की है।

विगत 26 अप्रैल को पीड़िता अपने पति के साथ बाइक पर सवार होकर दोपहर 3 बजे तालवृक्ष जा रही थी, तभी थानागाजी-अलवर बाइपास रोड पर उनकी बाइक के सामने 5 युवकों ने अपनी मोटरसाइकिलें लगा दीं। इसके बाद वे महिला एवं उसके पति को रेत के टीलों की तरफ ले गए। वहाँ उन्होंने पति के साथ मारपीट की और दंपति को बंधक बना लिया।

पाँचों युवकों ने इसके बाद दोनों पति-पत्नी के कपड़े उतरवाए। पति के साथ मारपीट की। पीड़िता के साथ भी मारपीट की और रेप की कोशिश की। शुरुआत में जब पीड़िता ने रेप की कोशिश का विरोध किया तो उसके पति को और मारा गया। अंततः पीड़िता ने अपने पति की रक्षा के लिए हार मान ली। इसके बाद उन दरिंदों ने 3 घंटे तक बारी-बारी से पीड़िता के साथ रेप किया। 11 वीडियो क्लिप भी बनाए।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट हैं ‘गायब’

चुनावों के बीच गैंगरेप के इस मामले ने पूरे इलाके में रोष का माहौल पैदा कर दिया है। आरोपितों की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन अभी तक इस मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का बयान नहीं आया है। उधर, इस मामले में 30 अप्रैल को ही केस दर्ज होने के बावजूद अभी तक आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। मीडिया और पुलिस के मुताबिक, सभी आरोपित शख्स गुर्जर समाज से हैं और क्षेत्र में उसका राजनीतिक प्रभाव भी है, इसलिए शुरुआत में डर की वजह से पीड़िता की ओर से रिपोर्ट दर्ज नही करवाई गई थी।

आरोपित युवकों ने न सिर्फ महिला के साथ दरिंदगी की थी, बल्कि वीडियो भी बनाया था। इसके साथ ही उन्होंने पति की हत्या की धमकी भी दे दी थी। धमकी के डर से दलित दंपति ने इस मामले की शिकायत दर्ज नहीं की, लेकिन बदमाश फिर भी बाज नहीं आए और पति को लगातार फोन पर हत्या और वीडियो वायरल करने की धमकियाँ देते रहे, और वीडियो को वायरल कर दिया। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में प्रशासन के खिलाफ जबर्दस्त आरोप है। पुलिस ने छोटेलाल, जीतू और अशोक सहित 5-6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है।

26 अप्रैल की घटना को चार दिनों बाद 30 अप्रैल को पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। पुलिस ने IPC और SC/ST ऐक्ट की धाराओं 147, 149, 323, 341, 354B, 376(D) & 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

जाँच में पुलिस की भूमिका संदिग्ध

इस शर्मनाक घटना के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि चुनाव के कारण घटना का खुलासा न कर के पुलिस क्या किसी को राजनीतिक फायदा पहुँचाना चाहती थी? अगर ऐसा नहीं था तो पुलिस कहीं आरोप‍ितों के पक्ष में ही तो नहीं थी? अगर ये दोनों कारण नहीं हैं, तो घटना का खुलासा 4 दिन बाद तब क्यों किया, जब वीडियो वायरल हो गया?

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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