पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चल रहे गंगासागर मेले (Ganga Sagar Fair) में मकर संक्रांति के मौके पर शाही स्नान करने के लिए आए पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Nishchalanand Saraswati) ने हिंदू राष्ट्र की संकल्पना पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी 52 देशों के उच्च प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत हुई है, जिसमें मॉरीशस, भूटान समेत 15 देशों के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा है कि अगर भारत खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित करता है तो वे भी इस दिशा में कदम उठाएँगे।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने एकमात्र हिंदू राष्ट्र नेपाल को लेकर बात करते हुए कहा कि वो अब चीन की कठपुतली बनता जा रहा है। उसको लेकर हमारी विदेश नीति में कमी आई है। इसके साथ ही संत ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाए जाने पर भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बाग्लादेश में हिंदू मंदिरों और देवी-देवताओं को निशाना बनाए जाने और मूर्तियों को तोड़ने पर नाराजगी व्यक्त की।
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती कहते हैं कि दुनियाभर में हिंदू देवी-देवताओं का अपमान कहीं भी सहन नहीं किया जाएगा। उनका कहना है कि अगर भारत में अल्पसंख्यक आराम से रहते हैं तो बांग्लादेश में हिंदू क्यों नहीं रह सकते हैं? उन्होंने कहा कि आखिर बांग्लादेश भारत से ही तो पैदा हुआ था।
राजनीति पर किया कटाक्ष
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती राजनीति और कोरोना को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने इस मामले में तल्ख लहजे में कहा कि कोरोना के इस दौर में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं और होने भी जा रहे हैं। जब कभी कोई राजनीतिक कार्यक्रम होते हैं तो वहाँ कोरोना नहीं होता। लेकिन जैसे ही कोई धार्मिक कार्यक्रम शुरू होता है तो कोरोना का हवाला दिया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने तीर्थ स्थलों को पर्यटन स्थल घोषित करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि तपोभूमि को भोग भूमि नहीं बनाना चाहिए।