वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ने में जहाँ पूरा देश लगा है, वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने इस आपदा को ठगी का जरिया बना लिया है। ये लोग मदद करनेवालों को भी चूना लगा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला झारखंड के हजारीबाग से सामने आया है। यहाँ कुछ लोगों ने पीएम केयर रिलीफ फंड डॉट कॉम नाम की फर्जी वेबसाइट बनाकर उसमें दान की अपील की और इसी बहाने 52.58 लाख रुपए उड़ा लिए।
इनमें दो आरोपित सगे भाइयों नूर हसन और मोहम्मद इफ्तेखार को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड परमेश्वर साव फरार है। इनलोगों ने पीएम केयर रिलीफ फंड डॉट कॉम नाम से फर्जी वेबसाइट बनाया। कोरोना संक्रमण से बचाव और लॉकडाउन से पीड़ित लोगों की मदद के लिए दान की अपील की। वेबसाइट में जिस अकाउंट का उल्लेख किया गया, उसमें खाताधारक का भी नाम पीएम केयर लिखा गया था।
जानकारी के मुताबिक हजारीबाग मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के लाखे निवासी सगे भाइयों नूर हसन और मोहम्मद इफ्तेखार (पिता मोहम्मद सिराजुद्दीन) और ओरिया निवासी परमेश्वर कुमार ने पंजाब नेशनल बैंक की बड़ी बाजार शाखा में 13 जनवरी और यूनियन बैंक में 31 मार्च को दो फर्जी खाते खुलवाए थे।
हजारीबाग के 200 लोगों ने पीएनबी में 34 लाख 87 हजार और यूनियन बैंक में 17 लाख 701 रुपए मदद के तौर पर जमा किए थे। यह राशि ठग अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर लेते थे। लगातार फंड के दूसरे खातों में ट्रांसफर किए जाने से बैंकों को शक हुआ। पंजाब नेशनल बैंक बड़ी बाजार शाखा के मैनेजर सुजीत कुमार सिंह और यूनियन बैंक शाखा अन्नदा चौक के मैनेजर अमित कुमार ने जब दोनों खाता को सर्च किया, तो दोनों खाताधारक सगे भाई निकले।
इसके बाद दोनों बैंकों के प्रबंधकों ने 9 अप्रैल को सदर थाने में इसकी सूचना दी। इस खाते के वास्तविक धारक के पते पर जब पुलिस गई तो ठगी का मामला सामने आया। पुलिस ने दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर जेपी कारा जेल भेज दिया। इनसे पूछताछ में मुख्य सरगना के रूप में मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ओरिया निवासी परमेश्वर साव का नाम सामने आया है, जो फरार है।
पुलिस ने उनकी निशानदेही पर परमेश्वर साव के घर पर छापामारी कर गुरुवार की सुबह एक कार और उसमें भारी मात्रा में रखे बैंक पासबुक, चेक बुक, एटीएम कार्ड सहित कई दस्तावेज बरामद किए। गिरफ्तार भाइयों का कहना है कि परमेश्वर साव ने ही इनसे दोनों बैंकों में अकाउंट खुलवा कर उनका पासबुक अपने पास रख लिया था। इसके बदले में इन दोनों को कुछ निर्धारित राशि दी जाती थी।