सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक सरकारी फोटोग्राफर एक अतिक्रमणकारी की लाश पर कूदता दिख रहा है। इस वीडियो को लेकर असम पुलिस और वहाँ हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली भाजपा की राज्य सरकार पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। ये वीडियो गुरुवार (23 सितंबर, 2021) का है। एक अन्य वीडियो में अतिक्रमणकारियों को लाठी-डंडे से पुलिस पर हमला करते हुए देखा जा सकता है।
उसमें से एक व्यक्ति की पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई, ऐसा कहा जा रहा है। असम के दर्रांग जिले में 800 परिवारों ने 4500 बीघा जमीन हथिया रखी थी। राज्य सरकार अवैध घुसपैठियों व कब्जे के खिलाफ अभियान चला रही है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जानकारी दी है कि 4 मजहबी स्थलों के अलावा एक प्राइवेट संस्थान को भी ध्वस्त कर दिया गया है। धौलपुर के सिपाझार क्षेत्र में 20 सितंबर से ही ये अभियान चालू है।
पुलिस ने बताया कि इस मामले में 2 लोगों की मौत हुई है, साथ ही एक डीएसपी समेत 11 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। असम के DGP भास्कर ज्योति महंता ने कहा कि उन्होंने जिस क्षण ये वीडियो देखा, उसी समय उक्त फोटोग्राफर की गिरफ़्तारी का आदेश दे दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतों के लिए ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति है। भाजपा सरकार ने अचानक से सब कुछ नहीं किया है। इस मुद्दे पर उन्होंने चुनाव भी लड़ा था।
भाजपा ने अपने चुनावी वादे में कहा था कि वो मंदिरों-मठों की जमीन को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराएगी। साथ ही इन जमीनों को राज्य के ऐसे स्थानीय नागरिकों को दिया जाएगा, जो भूमिहीन हैं। इसी तरह होजाइ के लंका शहर में 70 अतिक्रमणकारी परिवारों और सोमितपुरी के जामगुरिहाट में अवैध कब्ज़ा वाले 25 परिवारों को हटाया गया था। ये अभियान जून में चला था। सिपाझार में असम सरकार कई करोड़ रुपयों के ‘Garukhuti’ परियोजना को लागू करने वाली है।
2021-22 में आए असम के बजट में इसका जिक्र था, जिसके तहत जमीन को कब्जे से मुक्त करा कर उसे जंगल और कृषि के लिए उपयोग में लाया जाएगा। इसमें स्थानीय नागरिकों को भी शामिल किया जाएगा, जिनकी आय बढ़ेगी। हालाँकि, विपक्षी पार्टियाँ और मानवाधिकार संगठन इस अभियान का विरोध करते हुए कहते रहे हैं कि अतिक्रमणकारियों को बसाने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है।
असम के ये अधिकतर अतिक्रमणकारी बांग्लादेश के घुसपैठिए हैं। 2017 में असम के स्थानीय नागरिकों को जमीन के अधिकार की सुरक्षा के लिए एक समिति बनी थी, जिसकी अध्यक्षता पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा ने की थी। इसमें उनका कहना था कि असम के 33 जिलों में से 15 में बांग्लादेशी घुसपैठिए हावी हैं। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में इनकी तुलना ‘लुटेरे आक्रांताओं’ से करते हुए कहा था कि उनके पास खतरनाक हथियार भी हैं।
26 Xatras in 8 districts of Assam weighing to around 5,500 bighas are under encroachment presently & we know by whom!!!! (Below Image received in WA)
— Sashanka Chakraborty 🇮🇳 (@SashankGuw) June 8, 2021
We are highly hopeful Assam’s Commander @himantabiswa will soon purify the lands of our divine xatras.. pic.twitter.com/x1r7y6S5xz
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि इन अतिक्रमणकारियों ने अवैध गाँव के गाँव बसा लिए हैं और इन्होंने रातोंरात भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों की मदद से यहाँ रहने में सफलता पाई। रिपोर्ट में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले सांप्रदायिक नेताओं का भी जिक्र था, जो इन्हें बढ़ावा देते हैं। असम में ‘सत्रों’ का बहुत महत्व है। वहाँ कई वैष्णव सत्र मठ हैं। ब्रह्मा की रिपोर्ट में कहा गया था कि ऐसे 18 सत्रों की जमीनों को बांग्लादेशी घिसपैठियों ने बड़ी मात्रा में कब्जाया है।
जुलाई 2012 में इस सम्बन्ध में ‘नॉर्थ-ईस्ट पॉलिसी इंस्टिट्यूट’ ने एक अध्ययन भी किया था। इसमें पाया गया था कि 26 सत्रों की 5548 बीघा जमीन को घुसपैठियों ने कब्ज़ा रखा है। एक RTI से तो यहाँ तक पता चला था कि असम का 4 लाख हेक्टेयर जंगल क्षेत्र अतिक्रमण की जद में है। ये राज्य के कुल जंगल क्षेत्रों का 22% एरिया है। वीडियो वायरल होने के मामले में सीएम सरमा ने भी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
असम सरकार के अनुसार, प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटवाने की कार्रवाई हजारों साल पुराने हिंदू मंदिर को सुरक्षित करने के लिए की गई थी जहाँ अवैध रूप से कब्जा किया गया था। कार्रवाई के पूर्व ही वहाँ के लोग पुलिस पर हमला करने को तैयार थे। वीडियो में देखा जा सकता है कि हजारों की भीड़ मुर्दाबाद, हाय-हाय के नारे लगा रही है। पुलिस के पीछे कई लोग लाठी डंडा बड़े-बड़े फट्टे लेकर दौड़ रहे थे। पत्थरबाजी व तोड़फोड़ भी की जा रही थी।