दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने साल 2020 दंगो के एक मामले में 9 आरोपितों को बरी कर दिया है। इनके नाम मोहम्मद शाहनवाज़, शोएब, शाहरुख़, राशिद, आज़ाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैज़ल और राशिद उर्फ़ मोनू हैं। कोर्ट ने शनिवार (25 नवंबर, 2023) को दिए गए अपने आदेश में आरोपितों के खिलाफ पुलिस की गवाही को नाकाफी बताया है। बरी हुए आरोपितों पर पुलिस ने आगजनी और तोड़फोड़ की धाराएँ लगाईं थीं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस केस की सुनवाई एडिशनल सेशन जज पुलत्स्य प्रमचला की कोर्ट में हुई। उन्होंने अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनीं। अपने आदेश में उन्होंने केस में नामजद मोहम्मद शाहनवाज़, शोएब, शाहरुख़, राशिद, आज़ाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैज़ल और राशिद उर्फ़ मोनू को संदेह का लाभ दे कर बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि आरोपितों पर पुलिस अपने लगाए गए चार्ज पर्याप्त सबूतों के आधार पर साबित नहीं कर पाई।
इस मामले में पुलिस के 2 जवान कॉन्स्टेबल विपिन और हेड कॉन्स्टेबल हरी बाबू बतौर गवाह दर्ज थे। दोनों ने आरोपितों को हिंसक हरकतें करते देखने का दावा किया था। कोर्ट ने दोनों पुलिसकर्मियों की गवाही पर सवाल खड़े किए। न्यायाधीश पुलत्स्य प्रमचला ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि चश्मदीद पुलिसकर्मी ने आरोपितों को सुबह 9 बजे से शाम के बाद रात होने तक साफ तौर पर देखा भी या नहीं। कोर्ट ने इस बात का भी जिक्र किया कि सिपाही विपिन घटना से पहले ही शाहनवाज और आज़ाद को जानता था।
सिपाही विपिन ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने तीसरे आरोपित अशरफ को तब जाना जब वो अन्य केस में नामजद हो रहा था। न्यायाधीश पुलत्स्य ने यह भी कहा कि चश्मदीद शाहनवाज, अशरफ और आज़ाद को छोड़ कर पहले किसी को भी नहीं जानते थे।
क्या था मामला
28 फरवरी 2020 को दिल्ली के गोकुलपुरी थाने में SS ग्लास एन्ड प्लाईवुड कम्पनी के मालिक दिनेश अग्रवाल नाम के व्यक्ति ने लिखित तहरीर दी थी। तहरीर में उन्होंने बताया था कि 25 फरवरी 2020 को गोकुलपुरी स्थित उनकी दुकान में दंगाइयों ने आग लगा दी थी। इस आगजनी की चपेट में अग्रवाल का टेम्पू और बाइक भी आ गई थी। इसी मामले में मोहम्मद शाहनवाज़, शोएब, शाहरुख़, राशिद, आज़ाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैज़ल और राशिद उर्फ़ मोनू को पुलिस ने नामजद किया था।