फ़ेक न्यूज़ की वेबसाइट और ग़लत सूचनाएँ फैलाने वाले अभिषेक मिश्रा को दिल्ली पुलिस ने आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए गिरफ़्तार किया है। मिश्रा पर आपत्तिजनक पोस्ट से धार्मिक भावनाएँ आहत करने का आरोप है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस के विशेष साइबर सेल ने अभिषेक मिश्रा को मध्य प्रदेश में उसके घर से मंगलवार की रात को गिरफ़्तार किया।
Apparently Delhi Police has been told that Abhishek Mishra does not belong to Congress IT cell but tweets independently in favour of Congress and against government. https://t.co/i5tHgfursQ
— Raj Shekhar Jha (@rajshekharTOI) January 23, 2019
अभिषेक मिश्रा एक स्वयंभू YouTuber है जो पहले आम आदमी पार्टी के समर्थक था और कॉन्ग्रेस के प्रति अपनी वफ़ादारी को बदलने से पहले अरविंद केजरीवाल के साथ अपनी तस्वीरें क्लिक करता था। फिर उसके बाद वो दिग्विजय सिंह, राहुल गाँधी और प्रियंका चतुर्वेदी जैसे कई कॉन्ग्रेसी नेताओं के साथ अपनी तस्वीरें क्लिक करता था।
मिश्रा एक वेबसाइट ‘viralinIndia.net’ चलाता है, जहाँ वो इस्लाम समर्थक प्रचार और फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने का काम करता है। इसके अलावा वेबसाइट पर ट्रैफ़िक प्राप्त करने के लिए clickbait-y सुर्खियों के साथ-साथ अन्य कई अश्लील लेख भी अपलोड किए गए हैं। इसके अलावा इस वेबसाइट पर अविश्वसनीय ख़बरों को भी अपलोड किया जाता था, जैसे बिहार में एक मुर्गी द्वारा दो पिल्लों को जन्म देने जैसी बकवास ख़बरों का भी उल्लेख होता था।
आपको बता दें कि मिश्रा का प्रचार सिर्फ़ वेबसाइट तक ही सीमित नहीं था। इसके अलावा वो विभिन्न फेसबुक पेज तैयार करता है जिन्हें वो नियमित तौर पर फ़ेक न्यूज़ के रूप में शेयर भी करता है। शेयर करने के लिए वो ऐसे राजनेताओं का चयन करता है जिन्हें वो दोषी ठहरा सके और ऐसी शख़्सियतें चर्चा का विषय बन जाती हैं क्योंकि वो मोदी विरोधी होती हैं।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान, मिश्रा ने ‘viralinIndia.net’ को अस्थायी रूप से बंद कर दिया था क्योंकि उस समय यह टीम ‘चुनावों को कवर करने’ में व्यस्त थी। चुनाव समाप्त होते ही, मिश्रा फिर से अपनी फ़ेक न्यूज़ की वेबसाइट चलाने लगे। इतना ही नहीं प्रियंका चोपड़ा-निक जोन्स की शादी के रिसेप्शन से चोरी हुई घड़ी के लिए प्रधानमंत्री मोदी को प्रमुख संदिग्ध होने का दावा किया था।
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब मिश्रा को क़ानूनी दायरे में लाना पड़ा हो। इससे पहले नवंबर 2016 में मिश्रा को मध्य प्रदेश पुलिस ने शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी पर हमले के आरोप में गिरफ़्तार किया था।
इसके अलावा दैनिक भास्कर अपने लेख में सूत्रों के हवाले से लिखता है कि गुजरात और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अभिषेक ने सोशल मीडिया पर बीजेपी के ख़िलाफ़ प्रचार-प्रसार किया था, इससे बीजेपी को नुक़सान हुआ। इससे केंद्र सरकार नाराज़ है।
ऐसे में सवाल यह उठता है दैनिक भास्कर के वो कौन-से सूत्र हैं जो इस बात को पुख़्ता जामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं कि एक फ़ेक न्यूज़ संबंधी वेबसाइट चलाने वाले अभिषेक की वजह से बीजेपी को विधानसभा चुनाव में हानि हुई। बीजेपी जैसी बड़ी पार्टी को नुक़सान पहुँचाने के लिए क्या अभिषेक जैसे लोग काफ़ी हैं? गली-खोपचे या नुक्कड़ में किराये की दुकान में बैठे फ़र्ज़ी लोग क्या राजनीति का रुख़ पलटने में इतना सक्षम हो सकते हैं, यह एक बड़ा प्रश्न है।