उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 7 जून 2024 को मौलाना फारुक नाम के एक मदरसा संचालक की हत्या कर दी गई थी। हत्या की वजह पैसों का लेन-देन था। हत्या का आरोप हिन्दू समुदाय के कुछ लोगों पर लगा था। तब मुस्लिम भीड़ ने कानून को हाथ में लेते हुए न सिर्फ पुलिस पर पत्थरबाजी की, बल्कि आरोपितों के घरों में भी घुसने की कोशिश की थी।
पुलिस ने बल प्रयोग करके जैसे-तैसे हालत सँभाले थे। उपद्रव को देखते हुए गाँव में हिन्दू समुदाय के कई लोग दहशत में घर छोड़ कर भाग गए हैं। पुलिस द्वारा दिए जा रहे तमाम आश्वासन के बावजूद भी वो लौटने को तैयार नहीं हैं। गाँव छोड़ने वालों के नाम दिनेश चंद्र पांडेय, जयप्रकाश पांडेय, राजेश चंद्र पांडेय, अनिल कुमार पांडेय, रमाकांत पांडेय व लाला पांडेय आदि के नाम बताए जा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला प्रतापगढ़ के जेठवारा थाना क्षेत्र के सोनपुर गाँव का है। यहाँ 7 और 8 जून को हुई हिंसा के बाद मुस्लिम भीड़ ने पत्थरबाजी की थी। हमलावर भीड़ आरोपितों के घरों में घुसने की कोशिश की थी। तब से गाँव में पुलिस तैनात है। माहौल को देखते हुए हिन्दू समुदाय के कई लोग घरों में ताला लगा कर अपने दोस्तों-रिश्तेदारों के यहाँ चले गए हैं।
डर से शरणार्थी बन चुके इन परिवारों को जिला प्रशासन कई बार सुरक्षा देने व सुरक्षित रहने का भरोसा दे चुका है। इसके बावजूद कई परिवार घर लौटने को तैयार नहीं है। हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ करने वालों पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। आरोप यह भी है कि हिंसक भीड़ ने उन हिन्दुओं के घरों को भी निशाना बनाया था, जिनका मौलाना फारुक की हत्या से कोई भी लेना-देना नहीं था।
मौलाना के ही घर गए सपाई
इस बीच प्रशासन के लाख समझाने व पुलिस की तमाम पाबंदियों के बावजूद समाजवादी पार्टी के सदस्य मृतक मौलाना फारुक के घर पहुँच गए। शनिवार (15 जून) को उन्होंने पहले पुलिस की बैरिकेड तोड़ी फिर पगडंडी के रास्ते मृतक के घर पहुँचे। सपा के इस प्रतिनिधि मंडल में पूर्व मंत्री कमाल अख्तर और पूर्व MLC उदयवीर सिंह मौजूद थे। हालाँकि, पीड़ित हिंदुओं के घर किसी ने जाने की कोशिश नहीं की।
हिन्दू संगठनों ने दी एकतरफा कार्रवाई न करने की चेतावनी
इस बीच हिन्दू संगठनों ने भी इस मामले में दखल देना शुरू कर दिया है। प्रतापगढ़ के हिन्दू संगठनों ने एकजुट होकर एलान किया है कि किसी भी रूप में एकतरफा कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने गाँव के हिन्दुओं की सुरक्षा भी तय करने की प्रशासन से अपील की है। हिन्दू संगठनों ने एकपक्षीय आवाज उठाने का आरोप लगा कर समाजवादी पार्टी को भी आड़े हाथों लिया और कठोर शब्दों के साथ उनकी निंदा की। प्रतापगढ़ पुलिस का कहना है कि उनकी हालातों पर नजर है और संबंधित अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
संबंधित प्रकरण में उच्चाधिकारीगण के नेतृत्व में थाना प्रभारी आसपुर देवसरा व जेठवारा को संयुक्त रुप से जांच एवं विशेष सतर्कता हेतु निर्देशित किया गया है।
— PRATAPGARH POLICE (@pratapgarhpol) June 15, 2024
अब तक 1 महिला सहित 3 गिरफ्तार
मौलाना हत्याकांड में अब तक पुलिस ने कुल 3 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनमें एक महिला भी शामिल है। गिरफ्तार आरोपितों के नाम देवी प्रसाद पांडेय, चंद्रमणि तिवारी और उनकी पत्नी सीता तिवारी हैं। इन सभी पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 302 व 34 के तहत कार्रवाई की गई है।
साम्प्रदायिक नहीं, बल्कि जमीन व पैसों के विवाद में हुई थी हत्या
मौलाना फारूक की हत्या के बाद सोशल मीडिया के तमाम इस्लामी व वामपंथी हैंडलों ने इसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की थी। कई हैंडलों ने इसे उत्तर प्रदेश में मुस्लिम स्कॉलर्स की टारगेट किलिंग के तौर पर दिखाने की कोशिश की थी। इस पूरे समूह ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, शामली और प्रतापगढ़ जिलों में विभिन्न कारणों से मारे गए मज़हबी गुरुओं को एक साथ जोड़ कर नया रूप दिया।
मुरादाबाद: यूपी में तीन इमाम की हुई हत्या के मामले में AIMIM ने मुख्यमंत्री के नाम @DMMoradabad को दिया ज्ञापन
— Mohammed Naseeruddin (@naseerCorpGhmc) June 13, 2024
⏩प्रतापगढ़, शामली और मुरादाबाद में तीन इमामों की बेरहमी से हुई हत्या
⏩AIMIM ने किया प्रदर्शन, इमाम-पंडितों-पुजारी की प्रदेश स्तर पर सुरक्षा के प्रबंध की मांग की… pic.twitter.com/qWllZtORgS
वहीं, पुलिस जाँच में स्पष्ट हो गया है कि इनमें से एक भी हत्या टारगेट किलिंग या साम्प्रदायिक मंशा से नहीं हुई थी। शामली के केस में तो औलाद ने ही अपने अब्बा की हत्या की थी। इस मामले में भी पुलिस की जाँच में हत्या की वजह पैसों और जमीन का विवाद निकला। पुलिस की पूछताछ में 11 जून को गिरफ्तार आरोपित चंद्रमणि तिवारी ने बताया कि वह बेहद गरीब परिवार से है।
तिवारी ने कहा कि दूध बेचकर और थोड़ी-बहुत खेती करके परिवार का गुजारा होता है। आरोपित और मृतक मौलाना के बीच अच्छे संबंध थे। पैसों के अभाव में आरोपित ने मौलना को अपनी लगभग 10 बिस्वा जमीन बेच दी थी। इसी लेन-देन में पैसे व जमीन आदि को लेकर विवाद हुआ था। इसकी वजह से आरोपित ने आवेश में आकर मौलाना की फावड़े से मारकर हत्या कर दी थी।