उत्तर प्रदेश पुलिस ने आगरा के खंदौली क्षेत्र में नकली घी बनाने वाली फैक्ट्री का खुलासा किया। इस फैक्ट्री में जानवरों की चर्बी, सींग, हड्डियों और खुर को उबालकर घी बनाया जाता था। कार्रवाई के दौरान पुलिस ने मौके से लगभग 100 किलोग्राम से अधिक नकली घी बरामद किया। इसके अलावा पुलिस ने घटना के संबंध में कुल 4 लोगों को गिरफ्तार भी किया है जबकि दो अन्य मौके से भागने में सफल रहे। फ़िलहाल पुलिस ने इन सभी आरोपितों पर मामला दर्ज कर फैक्ट्री को सील कर दिया है।
खाद्य सुरक्षा विभाग ने सूचना मिलने के बाद मंगलवार (15 दिसंबर 2020) को फैक्ट्री पर छापा मारा। छापेमारी की कार्रवाई के बाद विभाग ने बरामद किए गए 100 किलोग्राम घी का नमूना जाँच के लिए भेज दिया था। इस फैक्ट्री के नज़दीक स्थित बाड़े में अवैध बूचड़खाना भी चलाया जा रहा था। खाद्य सुरक्षा अधिकारी त्रिभुवन सिंह की तहरीर के आधार पर कुल 6 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है।
मामले के आरोपितों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 272-273 (विक्रय के लिए खाद्य या पेय वस्तु का अपमिश्रण) और खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 26 (असुरक्षित-संदूषित-अवमानक खाद्य) के तहत मामला दर्ज किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपितों में फैक्ट्री संचालक चाँद बाबू, शेफी, इकबाल और ताहिर शामिल हैं। फ़िलहाल पुलिस घटना के दो अन्य फ़रार आरोपितों शल्लो और शोहिल की तलाश में जुटी हुई है।
इस घटना पर थाना प्रभारी अरविन्द कुमार निर्वाल ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया, “मोहल्ला व्यापारियान में भैंस के सींग और जानवरों की चर्बी को आग में पिघला कर नकली घी बनाने का कारोबार चल रहा था। इसके अलावा मौके पर कई अन्य तरह के रासायनिक पदार्थ (chemicals) बरामद किए गए हैं, जिनका उपयोग चर्बी को घी में बदलने के लिए किया जाता था। पूछताछ के दौरान यह भी पता चला कि जानवरों की चर्बी से नकली घी बनाने का कारोबार पिछले काफी समय से चल रहा था।”
यह लोग जानवरों की चर्बी को चूल्हे पर उबालकर इसमें तय मात्रा में वनस्पति और रिफाइंड मिलाते थे। इसकी खुशबू की वजह से यह एकदम असली घी लगता था और इसका उत्पादन इतने बड़े पैमाने पर होता था कि आस-पास के कई शहरों में भेजा जाता था। पूछताछ के दौरान आरोपितों ने बताया कि एक किलो घी तैयार करने में लगभग 23 रुपए का खर्च आता था। यह व्यापारियों को 60 रुपए/किलोग्राम में बेचा जाता था और व्यापारी यही घी 200 रुपए/किलोग्राम तक बेचते थे।