गुजरात हाईकोर्ट ने भरूच के काकरिया गाँव में 100 आदिवासियों के धर्म परिवर्तन के मामले में सूरत के मौलवी की अग्रिम जमानत याचिका सोमवार (4 अप्रैल, 2022) को खारिज कर दी। जिसे गिरफ्तारी का डर सता रहा है।
पुलिस ने अब्दुल वरियावा और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, जिन्होंने अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आमोद पुलिस ने प्रवीण वसावा की शिकायत पर गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन बिल की धारा 4 और आईपीसी की धारा 120 (बी), 153 (बी) (सी), और 506 (2) के तहत मामला दर्ज किया था।
बता दें कि 15 नवंबर को भरूच जिले के आमोद तालुका के काकरिया गाँव के अब्दुल अजीज पटेल, युसूफ जीवन पटेल, अयूब बरकत पटेल और इब्राहिम पुनाभाई पटेल समेत अन्य लोगों ने 35 आदिवासी परिवारों के 100 लोगों को बहला-फुसलाकर जबरन धर्म परिवर्तन कराया।
मामले के विवरण के अनुसार, आरोपितों ने गाँव के हिंदू आदिवासियों को पैसे का लालच दिया और कुछ मामलों में उनके लिए घर बनाकर उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर दिया।
आरोपितों ने 2006 से गाँव में 35 आदिवासी हिंदू परिवारों के 100 से अधिक लोगों का धर्म परिवर्तन किया था और उन्हें हिंदू धर्म में वापस आने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी थी। परिवर्तित हिंदू आदिवासियों को इस्लाम कबूल करवाने के बाद उन्हें समुदाय के दूसरों लोगों को भी इस्लाम में परिवर्तित करने का कार्य सौंपा गया था।
क्या है भरुच धर्मान्तरण केस
गौरतलब है कि नवंबर 2021 में ही ऑपइंडिया ने बताया था कि भरुच जिले की आमोद तहसील के अंतर्गत आने वाले कांकरिया गाँव के रहने वाले प्रवीण वसावा की शिकायत कर फेफड़ावाला हाजी अब्दुल्ला, सलाहुद्दीन शेख समेत कई और लोगों के खिलाफ वसावा समुदाय के लोगों के सामूहिक धर्मान्तरण कराने का आरोप लगाया था। प्रवीण के मुताबिक, अनुसूचित जनजाति से आने वाले लोगों को नौकरी, घर, शादी के लिए भावी दुल्हन और पैसे की लालच देकर सैकड़ों लोगों का इस्लामिक धर्मान्तरण कराया गया था। इसके साथ ही प्रवीण ने इस बात का भी खुलासा किया था कि किस तरह से धर्मान्तरण के रैकेट को चलाने के लिए विदेशी फंडिंग होती थी।