राजस्थान के अजमेर में स्थित मुस्लिमों के लिए पाक मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान एवं सजदानशीं सैयद ज़ैनुल आबेदीन ने CAA और मथुरा-काशी को लेकर अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि CAA उन लोगों के लिए है, जो दूसरे देशों से प्रताड़ित होकर भारत आते हैं और यहाँ नागरिकता के आवेदन करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि काशी और मथुरा के मंदिर के मामले को कोर्ट के बाहर आपसी बातचीत से हल कर लेना चाहिए।
जब सैयद जैनुल आबेदीन से पूछा गया कि क्या CAA कानून मुस्लिमों को खिलाफ है। इस पर सैयद जैनुल आबेदीन ने कहा, “पार्लियामेंट के अंदर होम मिनिस्टर कह रहा है भाई। मैं थोड़े कह रहा हूँ। पार्लियामेंट के अंदर सबने ये कहा है कि CAA कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, म्यांमार से जो माइग्रेट होकर यहाँ आए हैं और वर्तमान में यहाँ रह रहे हैं उनके लिए है।”
उन्होंने आगे कहा, “इन देशों से आने वाले लोगों दिया गया क्या इंडियन सिटीजनशिप? नहीं दी गई। ये कानून उनके लिए ही है। हिंदुस्तान का मुसलमान डर क्यों रहा है? ये उनके लिए नहीं है। इससे सिटीजनशिप कैंसिल नहीं होती है। बस बात खत्म।” बता दें कि देश के मुस्लिमों में ये प्रोपेगेंडा फैलाई गई थी कि CAA कानून मुस्लिमों की नागरिकता खत्म करने के लिए लाई गई है।
#WATCH | Jaipur: Syed Zainul Abedin, Dewan and Sajjada Nasheen of the Ajmer Sharif Dargah says, "CAA is for the people who have migrated from Myanmar, Bangladesh, and Afghanistan and came to India. Why are the Muslims of India afraid, this is not for them. Neither the citizenship… pic.twitter.com/Q18DVs24pk
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) February 22, 2024
सैयद आबेदीन ने CAA को लेकर ही नहीं, बल्कि वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी ढाँचा विवाद तथा मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह ढाँचे को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि काशी और मथुरा के विवाद को आपसी सहमति से दोनों पक्षों को मिलकर सुलझा लेना चाहिए। आबेदीन ने कहा कि इससे दोनों पक्षों के बीच कटुता नहीं रहेगी।
सैयद आबेदीन ने कहा, “मथुरा और काशी का विवाद अभी कोर्ट के सामने विचाराधीन है। इसलिए उसके ऊपर कोई कमेंट नहीं कर सकते। हमारा जो पुराना एक्सपीरियंस है, उसके हिसाब से हम चाहते हैं कि इस मसले का हल कोर्ट के बाहर बैठकर तय हो सकता है तो सबसे ज्यादा बेहतर है दोनों पक्षों के लिए। उससे दोनों पक्षों के अंदर कटुता भी नहीं रहेगी। अमन और शांति रहेगी।”
उन्होंने कहा, “कोर्ट के फैसले से तो जिसके पक्ष में फैसला आएगा, वह खुश होगा और जिसके हक में नहीं होगा, उसके दिल में कटुता रहेगी। तो ऐसा क्यों करना? ये देश वो पुराना नहीं है। जितने राजे-रजवाड़े, महाराजा थे, उनका एक धर्मगुरु होता था। ये धर्म के मामले में उनसे परामर्श लेकर फैसले लिया करते थे। आज जो एक नई बात पैदा की है इन्होंने कि धर्म और राजनीति….।”
#WATCH | Jaipur: Syed Zainul Abedin, Dewan and Sajjada Nasheen of the Ajmer Sharif Dargah says, "Mathura and Kashi's issue is sub judice before the court, so one cannot comment on this. We want this issue should be solved outside the court. This will be the best thing for both… pic.twitter.com/aVuUeky4e9
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) February 23, 2024
धर्म और राजनीति के मिश्रण पर सैयद आबेदीन ने कहा, “गोरखपुर प्रेस सबसे ज्यादा मशहूर है इंडिया के अंदर। गीता प्रेस। उसका 1957 का एडिशन ‘श्री कल्याण’ है। बहुत मोटी बुक है। उस किताब के पेज नंबर 771 और 772 का श्लोक कहता है कि अगर राजनीति को धर्म से अलग कर दिया जाएगा तो राजनीति विधवा हो जाएगी और धर्म को राजनीति से अलग कर दिया जाएगा तो धर्म विधुर (जिसकी पत्नी की मृत्यु हो गई हो) हो जाएगा।”