अलीगढ़ के सबसे संवदेनशील ऊपरकोट क्षेत्र में रविवार (फरवरी 23, 2020) को हुए बवाल के बाद सोमवार (फरवरी 24, 2020) को भी शहर में तनाव की स्थिति रही। सीएए के विरोध में कई बाजार बंद रहे। रविवार की रात जमालपुर में धरने पर बैठे लोगों को हटाने में पुलिस को पसीना छूट गए। तड़के भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया, जिन्हें खदेड़ने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज व आँसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। वहीं, एएमयू के पास चुंगी गेट पर जाम लगाने की कोशिश की। शाम को सैकड़ों महिलाएँ जीवनगढ़ पुलिया पर बैठ गईं।
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर सड़क पर जाम लगा दिया। देर रात तक प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने उन्हें समझाने का अथक प्रयास किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों से नोंकझोंक भी हुई। सोमवार सुबह 5 बजे तक पुलिस और उपद्रवियों के बीच गोरिल्ला युद्ध चलता रहा। उसके बाद पुलिस ने स्थिति पर काबू पाया। सोमवार सुबह फिर महिलाओं ने चुंगी गेट पर इकट्ठा होकर जाम लगा दिया। इस दौरान शमशाद मार्केट से जमालपुर तक की सभी दुकानें बंद रहीं।
सुबह 11 से शुरू हुआ क्रम शाम चार बजे तक चला। पुलिस हर बार टकराव को संभालती रही, लेकिन कोतवाली के बाहर पथराव कर उपद्रवियों ने हिंसा भड़का दिया। साथ ही उपद्रवियों ने पथवारी देवी मंदिर पर पथराव किया। वो यहीं पर नहीं रुके, आगे दो और मंदिरों पर ईंट-पत्थर फेंके। इससे हिंंदुओं में रोष व्याप्त हो गया। स्थानीय लोग विरोध में आ गए और महिलाएँ धरने पर बैठ गईं। हिंदू समुदाय के लोग उपद्रवियों पर कार्रवाई की माँग करने लगे।
स्थानीय मालती देवी का कहना है कि भीड़ में शामिल लोगों ने मंदिर पर ईंट-पत्थर मारे। सरकार से लड़ाई है तो वहाँ जाकर लड़े। उन्होंने कहा हमारे मंदिर पर पत्थर मारोगे तो हम भी बदला लेंगे। वहीं भाजपा मंडलअध्यक्ष देवेंद्र सैनी ने कहा कि रोजाना कहीं न कहीं प्रदर्शन हो रहा है, लेकिन हम खामोश हैं। धरना शांतिपूर्वक करें। जगह-जगह बदतमीजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अशोक चौधरी ने कहा कि माहौल लगातार खराब किया गया। डेढ़ महीने से पुलिस की निष्क्रियता के चलते नाटक चल रहा है। प्रदर्शनकारियों के हौसले बुलंद है। उन्होंने शहर की अशांति के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया।
उल्लेखनीय है कि अलीगढ़ में शाहजमाल ईदगाह के बाहर पिछले काफी दिनों से धरना चल रहा है। गुरुवार रात आँधी-बरसात के चलते शाहजमाल ईदगाह के बाह टेंट लगाने की कोशिश की गई थी, जिसे पुलिस ने रोक दिया। इससे नाराज महिलाएँ शुक्रवार रात शहर कोतवाली आ गईं और प्रदर्शन के बाद धरने पर बैठ गईं। शनिवार शाम अधिकारियों ने शाहजमाल में टेंट लगवाने का अनुमति दे दी थी। रात को वहाँ टेंट भी लगा दिया गया, लेकिन शहर कोतवाली से महिलाएँ नहीं हटी। कोतवाली के बाहर एक धरना चल रहा था तो दूसरा प्रदर्शन मुख्य तिराहे पर था। दोनों तरफ से 50-100 लोगों के झुंड इधर-उधर घूम रहे थे। जहाँ से टोली गुजर रही थीं, तनाव बढ़ता जा रहा था।